रायपुरः छत्तीसगढ़ शासन ने कलेक्टर गाइडलाइन के तहत जमीन की सरकारी दरों में 5 से 9 गुना तक की बढ़ोतरी कर दी है। इस फैसले का विरोध अभी तक जमीन कारोबारी और बिल्डर कर रहे थे लेकिन अब रायपुर के बीजेपी सांसद बृजमोहन अग्रवाल भी अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हो गए हैं।
अग्रवाल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर इस फैसले पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया है।
सरकार ने बढ़ाई रजिस्ट्री दर
वर्षों बाद बढ़ाई गई दरें : सरकार ने वर्षों बाद जमीन की रजिस्ट्री दर को बढ़ाया है। शासन की दलील है कि कोरोना के चलते कई वर्षों तक प्रदेश में जमीन दरें नहीं बढ़ाई गई। जबकि जमीन कारोबारियों का सवाल है कि अगर कई साल तक रेट नहीं बढ़ाया गया तो क्या अचानक एक साथ दरों में कई गुना वृद्धि करना उचित है? नाराज कारोबारी प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालयों में फैसले के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
कोर्ट में गुहार लगाने की तैयारी : प्रदेश के जमीन कारोबारी और क्रेडाई, इस मामले को लेकर न्यायालय में याचिका दाखिल करने की तैयारी भी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, याचिका का मुख्य आधार होगा कि प्रशासन और केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड ने गाइडलाइन तय करने में वैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं किया।
हाई पॉवर कमेटी बनाने का सुझाव : नई कलेक्टर गाइडलाइंस लागू होने के बाद छत्तीसगढ़ में जमीन की कीमतें अचानक कई गुना बढ़ गई हैं। रायपुर से बीजेपी सांसद, बृजमोहन अग्रवाल ने इसे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर हमला बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इतना बड़ा बदलाव करने से पहले न तो कोई अध्ययन किया और न ही लोगों की राय ली। उन्होंने यह भी कहा कि इससे आम लोगों, किसानों और कारोबारियों पर बुरा असर पड़ेगा।
बृजमोहन अग्रवाल ने क्या कहा?
अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार खुद नई गाइडलाइंस को लेकर कन्फ्यूज है। उन्होंने सुझाव दिया कि रेवेन्यू डिपार्टमेंट, रियल एस्टेट सेक्टर और किसानों के संगठनों से जुड़े जानकारों की एक “हाई-लेवल कमेटी” बनाई जाए ताकि जमीनी हकीकत को समझने के बाद फैसले लिए जा सकें।
विपक्ष को मिला मुद्दा : सरकार के इस फैसले ने प्रदेश की विपक्षी पार्टी कांग्रेस को बड़ा मुद्दा दे दिया है। जिलों में हो रहे धरना प्रदर्शनों में स्थानीय कांग्रेस नेताओं की सक्रियता भी दिखाई दे रही है। जमीन की नई गाइडलाइन पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सवाल उठाया है। बघेल ने, मंत्री के एक बयान पर कहा कि अगर यह फैसला ऊपर से लिया गया है, तब प्रदेश की जनता जानना चाहती है कैबिनेट से ऊपर कौन फैसला ले रहा है।
नई गाइडलाइन के बाद जमीन और मकानों की रजिस्ट्री में भी टैक्स, कई गुना बढ़ गया है। उदाहरण के लिए, किसी इलाके में अगर सरकारी गाइडलाइन 1000 रुपए प्रति वर्ग फीट होने पर प्लाट की रजिस्ट्री पर पहले 1 लाख 5 हजार रुपए टैक्स लगता था। अब नई गाइडलाइन के तहत 5 गुना बढ़ जाने के बाद जमीन की रजिस्ट्री 5000 रुपए प्रति वर्गफीट के हिसाब से 5 लाख 25 हजार रुपए में करवानी पड़ेगी। जानकारों की मानें तो इसीलिए इस फैसले का असर आम लोगों पर भी पड़ेगा।

