देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSC) पेपर लीक मामले में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है। साथ ही उन्होंने इसे ‘नकल जिहाद’ बताया है। सीएम धामी ने बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा, ‘युवाओं को भड़काने के लिए नकल जिहाद शुरू किया जा रहा है। उन सभी नकल माफियाओं और जिहादियों को बता देना चाहता हूं कि जब तक नकल माफिया को मिट्टी में नहीं मिला दिया जाता हम चैन से नहीं बैठेंगे।’
उन्होंने आगे कहा कि पिछले चार सालों में 25,000 से अधिक युवाओं ने ‘अपनी मेहनत और प्रतिभा से भर्ती परीक्षाओं में सफलता हासिल करके’ सरकारी नौकरियां हासिल की हैं। युवाओं के खिलाफ साजिश का आरोप लगाते हुए धामी ने कहा, ‘कुछ लोग इस प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं और अराजकता पैदा करने और युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं।’
इस बीच, उत्तराखंड बेरोजगार संघ के सदस्यों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद बुधवार को लगातार तीसरे दिन देहरादून के परेड ग्राउंड में अपना धरना जारी रखा।
कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी समेत कई राजनीतिक दलों के सदस्य भी इस आंदोलन में शामिल हुए। अल्मोड़ा में भी विरोध प्रदर्शन हुए, जहाँ सैकड़ों लोग गांधी पार्क में इकट्ठा हुए और चौघानपाटा से मुख्य बाजार तक मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बार-बार पेपर लीक होने से मेहनती उम्मीदवारों का भविष्य बर्बाद हो गया है। उन्होंने सरकार पर युवाओं की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता न दिखाकर युवाओं के करियर से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया।
UKSSC पेपर लीक का मामला क्या है?
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा रविवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक आयोजित की गई थी। हालांकि, प्रश्नपत्र के तीन पन्ने ऑनलाइन प्रसारित होने के बाद पेपर लीक होने के आरोप सामने आए। अब तक मामले में खालिद मलिक और उसकी बहन सबिया नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि यह घटना सिर्फ दो लोगों तक सीमित नहीं है।
खालिद को मंगलवार को हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया था। ऐसी बातें सामने आई हैं कि उसने परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र के तीन पन्नों की तस्वीरें खींचकर अपनी बहन को भेजीं, जिसने उसे एक सहायक प्रोफेसर को भेजा। उसने इसे एक अन्य शख्स के साथ भी साझा किया, जिसने बाद में तस्वीरें ऑनलाइन अपलोड कर दीं।
इसके बाद देहरादून में उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों के नियंत्रण एवं रोकथाम के उपाय) अधिनियम, 2023 के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि इसमें कोई संगठित गिरोह शामिल नहीं था।
धामी के ‘नकल जिहाद’ वाले बयान पर कांग्रेस का पलटवार
धामी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्मा ने कहा कि भाजपा सरकार ‘विफलताओं के सामने सांप्रदायिकता का आसान रास्ता’ अपना लेती है। उन्होंने कहा, ‘राज्य का गठन बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और पलायन की समस्याओं को दूर करने के लिए किया गया था। ये मुद्दे अभी तक सुलझ नहीं पाए हैं। परीक्षा से एक दिन पहले, घोटालेबाज हाकम सिंह को गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह, इस घटना से जुड़े कई नाम सामने आए हैं। लेकिन मुख्यमंत्री के लिए यह भी जिहाद है। 22,000 से ज्यादा लोग संविदा पदों पर हैं, नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं, और वन, पुलिस, लोक निर्माण विभाग और सिंचाई विभागों की कई भर्ती परीक्षाएँ लंबे समय से रुकी हुई हैं। सरकार लोगों की परेशानियों को दूर करने में विफल रही है।’
UKSSC पेपर लीक पर पुलिस ने क्या बताया है?
पुलिस के अनुसार खालिद मलिक हरिद्वार के आदर्श बाल सदन इंटरकॉलेज में परीक्षा देने गया था और उसने कथित तौर पर परीक्षा केंद्र से अपनी बहन सबिया के साथ तीन तस्वीरें साझा की। सबिया ने कथित तौर पर ये तस्वीरें मलिक की दोस्त सुमन को प्रश्न हल करवाने के लिए भेजीं।
देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया है कि टिहरी के एक कॉलेज में प्रोफेसर सुमन ने कथित तौर पर प्रश्न हल किए थे, लेकिन उत्तर नहीं भेजे और एक युवा नेता बॉबी पनवार को इसकी जानकारी दी।
पनवार ने बाद में सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करके धांधली का आरोप लगाया। पुलिस ने बताया कि खालिद ऋषिकेश में जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करता था और सुमन से तब परिचित था जब वह वहाँ नगर निगम में अधिकारी के रूप में कार्यरत थी।
सिंह ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि सुमन इस मामले में शामिल नहीं थी और उसे मामले में गवाह माना जाएगा। हालाँकि, मामले में दर्ज प्राथमिकी में उसका नाम पहली आरोपी के रूप में दर्ज किया गया था।
जिस कॉलेज में यह लीक हुआ, उसके प्रधानाचार्य धर्मेंद्र चौहान हैं, जो हरिद्वार में भाजपा के मीडिया प्रभारी भी हैं। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उन्होंने बताया कि 18 कक्षाओं में परीक्षार्थी थे, लेकिन सिग्नल इंटरसेप्ट करने के लिए केवल 15 में ही जैमर लगे थे। कुल 432 परीक्षार्थियों को केंद्र आवंटित किया गया था, और 292 परीक्षा देने आए थे।
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने आयोग को इसकी सूचना दी थी, और कुछ जैमर परीक्षा हॉलों के बीच साझा किए गए थे। खालिद ऐसे हॉल में था जहाँ जैमर नहीं था।’
वहीं, परीक्षा से एक दिन पहले स्पेशल टास्क फोर्स और देहरादून पुलिस ने पंकज गौड़ और हाकम सिंह नाम के दो लोगों को 12 से 15 लाख रुपये के बदले छह उम्मीदवारों को परीक्षा में सफलता दिलाने का वादा करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। सिंह को इससे पहले 2021 में UKSSSC पेपर लीक मामले में भी गिरफ्तार किया गया था। 2021 के लीक के बाद, सरकार ने प्रश्नपत्र लीक करने में शामिल माफिया पर नकेल कसने के लिए एक कानून भी बनाया था। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि यह कानून कदाचार रोकने में विफल रहा है।