नई दिल्लीः भारत सरकार ने रविवार, 30 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में सभी दलों के नेता एक साथ नजर आए। 1 दिसंबर से होने वाले सत्र में 14 विधेयकों पर चर्चा होगी।
संसद भवन में आयोजित इस बैठक में विपक्ष ने कथित तौर पर उन मुद्दों पर चर्चा की जिन्हें वह दोनों सदनों में उठाना चाहता है। इनमें मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), हाल ही में दिल्ली में हुए विस्फोट और विदेश नीति से जुड़ी चिंताएं शामिल हैं।
सरकार ने शीतकालीन सत्र के लिए मांगा सहयोग
सरकार ने इस बीच अपनी विधायी प्राथमिकताओं को रेखांकित किया और कार्यवाही के सुचारु संचालन के लिए सहयोग मांगा।
हालांकि बैठक के बाद सत्र की छोटी अवधि का हवाला देते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार संसद को पटरी से उतारने पर आमादा है।
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार, 1 दिसंबर से शुरू हो रहा है। शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा। इस साल के सत्र में 15 बैठकें होंगी जबकि आमतौर पर 20 बैठकें होती हैं। ऐसे में इस सत्र को हाल के वर्षों में सबसे छोटे सत्र में से एक है।
इससे पहले दिन में संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने दोनों सदनों के राजनैतिक दलों के नेताओं के साथ अलग-अलग विचार विमर्श किया। रविवार शाम को कार्य मंत्रणा समिति की बैठक भी निर्धारित है। इसके बाद सप्ताह के अंत में लोकसभा और राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक होगी।
बैठक से पहले पत्रकारों को संबोधित करते हुए रिजिजू ने संयम बरतने का आग्रह किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि संसदीय बहस रचनात्मक और व्यवधान-मुक्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “चूंकि यह सर्दियों का मौसम है, हम आशा करते हैं कि सभी लोग शांत मन से काम करें और तीखी बहस से बचें। बहस संसद का एक हिस्सा है और मुझे उम्मीद है कि कोई व्यवधान नहीं होगा। शांत मन से काम करने से राष्ट्र को लाभ होगा और यह सुनिश्चित होगा कि सत्र सुचारू रूप से चले।”
इस बैठक के बाद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर शीतकालीन सत्र की अवधि कम करके संसद की सामान्य से कम अवधि की बैठक आयोजित करके संसदीय प्रक्रिया को पटरी से उतारने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
गौरव गोगोई ने क्या कहा?
उन्होंने कहा “शीतकालीन सत्र केवल 19 दिनों का है जिसमें से केवल 15 दिनों तक ही चर्चा हो सकेगी। यह संभवतः अब तक का सबसे छोटा शीतकालीन सत्र होगा। इसलिए, ऐसा लगता है कि सरकार खुद संसद को पटरी से उतारना चाहती है।”
शीतकालीन सत्र की शुरुआत एक मजबूत विधायी पहल के साथ होगी। इस सत्र के दौरान कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होगी। इनमें परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025 शामिल है। यह परमाणु ऊर्जा के उपयोग को विनियमित करने के साथ-साथ परमाणु क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी सक्षम बनाता है।
इसके अलावा इस सत्र में भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक 2025 का उद्देश्य विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वायत्ता को बढ़ावा देने, पारदर्शी मान्यता तंत्र बनाने और शैक्षणिक मानकों में सुधार के लिए मजबूत नियामक निगरानी सुनिश्चित करने हेतु एक केंद्रीय आयोग की स्थापना करना है।
इन दो विधेयकों के अलावा जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025, दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2025, अध्यादेश के स्थान पर मणिपुर माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025, निरसन और संशोधन विधेयक, 2025; और राजमार्ग विकास के लिए त्वरित और पारदर्शी भूमि अधिग्रहण के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल हैं।

