Friday, October 10, 2025
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कैश फॉर क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई ने लोकपाल को सौंपी रिपोर्ट

नई दिल्ली: लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा और कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से जुड़े कथित कैश फॉर क्वेरी घोटाले की जांच में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अपनी रिपोर्ट लोकपाल को सौंप दी है। अधिकारियों ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।

सीबीआई की इस रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। एजेंसी ने दावा किया है कि सांसद ने एक कारोबारी समूह से नकद और उपहार लेकर संसद में सवाल पूछे थे, जिससे न केवल उनके संसदीय विशेषाधिकारों का उल्लंघन हुआ बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हुआ।

सीबीआई ने पिछले साल 21 मार्च को इस मामले में महुआ मोइत्रा और हीरानंदानी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। यह कार्रवाई लोकपाल के निर्देश पर की गई थी। 

क्या हैं आरोप?

एफआईआर के मुताबिक, महुआ मोइत्रा पर आरोप है कि उन्होंने अपने संसद विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करते हुए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से कथित रूप से रिश्वत और अन्य अनुचित लाभ स्वीकार किए। 

यह मामला सबसे पहले तब सामने आया जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और एक सुप्रीम कोर्ट के वकील ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ लोकपाल में शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप था कि मोइत्रा ने दुबई के व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से नकद, उपहार और लॉगिन क्रेडेंशियल्स के बदले लोकसभा में सवाल पूछे — और इन सवालों का उद्देश्य उद्योगपति गौतम अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य पर हमला करना था।

इसके बाद लोकपाल ने मामले की प्रारंभिक जांच करवाई और 2023 में सीबीआई को औपचारिक जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने 21 मार्च 2023 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत महुआ मोइत्रा और दर्शन हीरानंदानी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

महुआ मोइत्रा को दिसंबर 2023 में लोकसभा से “अनैतिक आचरण” के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था। उनके खिलाफ आरोप था कि उन्होंने अपने लोकसभा लॉगिन क्रेडेंशियल्स साझा कर न केवल गोपनीयता भंग की बल्कि संसद की गरिमा पर भी आंच लाई। मोइत्रा ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें जवाब देने का मौका दिए बिना निष्कासित किया गया। 

विवादों के बावजूद, महुआ मोइत्रा ने 2024 के आम चुनावों में भाजपा प्रत्याशी अमृता रॉय को हराकर कृष्णानगर सीट से फिर जीत दर्ज की। वह अब 18वीं लोकसभा में टीएमसी की सांसद के रूप में फिर से चुनी गई हैं। 

भ्रष्टाचार मामलों की निगरानी करने वाली सर्वोच्च संवैधानिक संस्था लोकपाल अब इस रिपोर्ट की समीक्षा करेगा और तय करेगा कि आरोपों पर मुकदमा चलेगा या नहीं। यदि लोकपाल कार्रवाई के आदेश देता है, तो यह मामला संसद सदस्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर मामले के रूप में आगे बढ़ सकता है।

 

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