असम के 52 वर्षीय म्यूजिक आइकॉन जुबीन गर्ग की मौत के मामले में गिरफ्तार किए गए नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल (एनईआईएफ) के आयोजक श्यामकानु महांता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। महांता ने राज्य की एसआईटी से जांच हटाकर सीबीआई या एनआईए को ट्रांसफर करने और एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज की निगरानी में जांच करवाने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से मिली जानकारी के अनुसार, इस संवेदनशील याचिका पर अगले सप्ताह (6 अक्टूबर को) सुनवाई हो सकती है। महंत ने यह भी मांग की है कि जाँच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त किया जाए।
इससे पहले असम पुलिस की अपराध जांच शाखा (सीआईडी) ने गुरुवार को जुबिन गर्ग की मौत के मामले में हत्या की धारा (बीएनएस की धारा 103) जोड़ दी है। सीआईडी के विशेष डीजीपी मुन्ना प्रसाद गुप्ता ने बताया कि नई धारा जोड़ने का फैसला महांता और जुबीन के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा से पूछताछ के बाद लिया गया। दोनों को बुधवार को गिरफ्तार कर गुवाहाटी लाया गया था।
सिंगापुर जाएगी एसआईटी टीम
गुवाहाटी स्थित 10 सदस्यीय एसआईटी की टीम अब सिंगापुर जाने की तैयारी में है, ताकि वहां की एजेंसियों के साथ संयुक्त जांच की जा सके। गुप्ता ने कहा कि हमने सिंगापुर सरकार से जांच की अनुमति मांगी है। औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं और वहां की सरकार ने हमें कुछ दिनों तक इंतजार करने को कहा है।
जांच के दौरान पुलिस ने जुबिन का निजी हैंडबैग उनके मैनेजर से बरामद किया, जिसमें दवाइयां और दस्तावेज मिले हैं। सभी वस्तुएं फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दी गई हैं। वहीं, असम पुलिस ने गुरुवार को जुबीन के करीबी दो अन्य संगीतकारों- अमृतप्रभा महांता और शेखर ज्योति गोस्वामी को भी गिरफ्तार किया।
प्रारंभिक एफआईआर (सीआईडी पीएस केस नंबर. 18/2025) में पहले धारा 61(2) (आपराधिक साजिश), 105 (अपराधिक मानवहत्या) और 106(1) (लापरवाही से मृत्यु) दर्ज की गई थी। बाद में हत्या की धारा जोड़ी गई।
श्यामकानु महांता पर 14 करोड़ के घोटाले का आरोप
इस बीच, श्यामकानु महांता का नाम अब एक और बड़े वित्तीय घोटाले में सामने आया है। रिपोर्टों के अनुसार, वर्ष 2001 में नॉर्थ ईस्टर्न डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NEDFi) में करीब 14 करोड़ रुपये के एक प्रोजेक्ट में घोटाला किया गया था।
उस समय श्यामकानु महांता इस हाई-वैल्यू प्रोजेक्ट के प्रोजेक्ट मैनेजर थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने DSS ई-कनेक्ट नामक कंपनी के साथ मिलकर फंड की हेराफेरी की। यह मामला उस अवधि में नॉर्थ ईस्टर्न डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रोजेक्ट्स की निगरानी और प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
यह खुलासा महांता से जुड़ी बढ़ती विवादों की सूची में एक और कड़ी जोड़ता है। जुबिन गर्ग की मौत के मामले में पहले से ही जांच का सामना कर रहे महांता पर अब पुराने वित्तीय अनियमितताओं की भी जांच की मांग उठ रही है। कई लोगों ने इन आरोपों की पृष्ठभूमि में नॉर्थ ईस्टर्न डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पुराने प्रोजेक्ट्स की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
‘जुबीन गर्ग की डूबने से हुई थी मौत’
जुबिन गर्ग 19 सितंबर को सिंगापुर में निधन से एक दिन पहले नॉर्थईस्ट इंडिया फेस्टिवल में प्रस्तुति देने पहुंचे थे। सिंगापुर पुलिस बल (एसपीएफ) ने 1 अक्टूबर को कहा था कि जुबीन गर्ग की मौत डूबने से हुई, जब वह सेंट जॉन द्वीप के पास तैराकी कर रहे थे, न कि स्कूबा डाइविंग के दौरान, जैसा कि शुरू में दावा किया गया था।
सिंगापुर पुलिस के अनुसार, जुबिन एक यॉट पर 12 से अधिक लोगों के साथ मौजूद थे। उन्हें दो बार पानी में कूदते देखा गया था। एक बार लाइफ जैकेट के साथ और एक बार उसके बिना। उन्हें बेहोश बाहर निकाला गया और सिंगापुर जनरल अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया।
सिंगापुर के अधिकारियों ने आधिकारिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और अन्य गोपनीय रिपोर्टें भारतीय उच्चायोग को सौंप दी हैं। हालांकि, ज़ुबीन की पत्नी गरिमा गर्ग, जिन्होंने 27 सितंबर को न्याय की मांग करते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, ने गुरुवार को कहा कि उन्हें अभी तक रिपोर्ट की प्रति नहीं मिली है।
इधर, भारत में हुए दूसरे पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट का इंतजार है। गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (GMCH) में हुए पोस्टमॉर्टम में विसरा के नमूने केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL), दिल्ली भेजे गए हैं, जिसके नतीजों का इंतजार है। अधिकारियों का कहना है कि वे आधिकारिक घटनाओं पर संदेह बने रहने के कारण इस दूसरी ऑटोप्सी के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं।
मौत को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि घटनास्थल, मेडिकल रिपोर्ट और पुलिस बयान में कई विसंगतियां हैं। जुबिन के प्रशंसकों और असमिया संगीत जगत के लोगों ने सोशल मीडिया पर सीबीआई जांच की मांग तेज कर दी है।