ओटावाः कनाडा में गुरपतवंत सिंह पन्नू के करीबी इंद्रजीत सिंह गोसल को गिरफ्तार किया गया है। गोसल को ओटावा में कई अग्नि अस्त्रों से संबंधित आरोपों में लिया गया था। इसके बाद कनाडा के इस रुख को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में काम करने वाले अलगाववादी समूहों के प्रति बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। कनाडा सरकार का रुख उदार से एक तीव्र बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। कनाडा की इस कार्रवाई को एनएसए अजीत डोभाल से जोड़कर देखा जा रहा है।
भारत-कनाडा सुरक्षा सहयोग के लिहाज से इसे एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। न्यूज-18 इंग्लिश ने इस मामले से अवगत खुफिया सूत्रों के हवाले से लिखा कि यह गिरफ्तारी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में नई दिल्ली की ओर से लगातार कूटनीतिक और खुफिया दबाव के बाद हुई है। भारतीय एजेंसियों ने इसके लिए ओटावा को विस्तृत दस्तावेज मुहैया कराए थे। इनमें वित्तीय लेन-देन की खुफिया जानकारी के साथ-साथ गोसल के पन्नू के साथ सीधे संबंध होने के सबूत भी दिए गए थे।
सूत्रों ने क्या बताया?
सूत्रों के मुताबिक, ये जानकारियां कनाडाई अधिकारियों को उन चरमपंथी स्लीपर सेल्स पर शिकंजा कसने के लिए मजबूर करने में निर्णायक साबित हुई हैं, जो लंबे समय से देश के उदार वातावरण का फायदा उठा रहे थे।
सूत्रों ने बताया “यह इस बात की पुष्टि है कि खालिस्तानी नेटवर्क प्रतिबंधित संगठनों का सक्रिय विस्तार बने हुए हैं। भारत द्वारा प्रदान की गई योग्य खुफिया जानकारी के आधार पर ओटावा द्वारा यह कार्रवाई करना स्पष्ट रूप से नीतिगत बदलाव को दर्शाता है।”
गोसल की गिरफ्तारी को भारतीय सुरक्षा अधिकारियों द्वारा लंबे समय से चले आ रहे आरोपों की एक महत्वपूर्ण स्वीकृति के रूप में देखा जा रहा है कि विदेशों में अलगाववादी तत्व संगठित उग्रवाद में लिप्त हैं।
पन्नू, जिसे भारत सरकार पहले ही आतंकवादी घोषित कर चुकी है। ऐसे में उसके करीबी को हिरासत में लेकर कनाडाई अधिकारियों ने भारत के इस आरोप को पुष्ट किया है कि चरमपंथी नेटवर्क केवल वकालत करने वाले समूह नहीं हैं बल्कि ये ठोस सुरक्षा खतरा पैदा करते हैं।
अजीत डोभाल ने कनाडा समकक्ष से की थी मुलाकात
इसी महीने की शुरुआत में अजीत डोभाल की कनाडाई समकक्ष नथाली ड्रोइन के बीच एक बैठक हुई थी। खुफिया सूत्रों ने दोनों अधिकारियों के बीच हुई इस बातचीत को 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से तनावपूर्ण हुए संबंधों में एक “हार्ड रीसेट” बताया। दोनों देशों के बीच हाल ही में नए राजदूतों नियुक्त किए गए थे जिससे राजनयिक गतिरोध को दूर करने के इरादे का संकेत मिला।
इस बैठक में भारतीय वार्ताकारों ने खालिस्तानी उग्रवाद, वांछित आतंकवादियों के प्रत्यर्पण और भारत के घरेलू मामलों में कनाडा के हस्तक्षेप पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाने का जोर दिया। भारत ने सिंगापुर में गोपनीय बैठकों में पहले साझा किए गए दस्तावेजों और धन-निपटान के सबूतों को फिर से पेश किया। सूत्रों के मुताबिक, ओटावा ने खुफिया जानकारी साझा करने और नए संयुक्त आतंकवाद-रोधी तंत्रों की खोज करने की इच्छा का संकेत दिया।
खुफिया सूत्रों ने कहा कि “यह पहली ठोस कार्रवाई है जो इन आश्वासनों से मेल खाती है।” कार्नी सरकार के इस फैसले को भारत सरकार के साथ सहयोग के रूप में देखा जा रहा और इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक और राजनयिक संबंधों में सुधार के रूप में देखा जा रहा है जो जस्टिन ट्रुडो के प्रधानमंत्री काल में तनाव में बदल गए थे।