Wednesday, September 10, 2025
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कनाडा ने माना- खालिस्तानी आतंकियों को देश से मिल रही है फंडिंग

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट “2025 असेसमेंट ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एंड टेररिस्ट फाइनेंसिंग रिस्क्स इन कनाडा” में खालिस्तानी हिंसक चरमपंथियों को साफ शब्दों में आतंकी संगठन कहा गया है। इसमे कहा गया है कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन और सिख्स फॉर जस्टिस जैसे खालिस्तानी समूह कनाडा से पैसे जुटा रहे हैं।

Khalistani Terror Groups Funding: भारत लंबे समय से कनाडा के खालिस्तानी चरमपंथियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह होने का आरोप लगाता रहा है। इस बीच कनाडाई सरकार ने पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया है कि देश में खालिस्तानी आतंकवादी समूह सक्रिय हैं और उन्हें यहीं से आर्थिक मदद मिल रही है। यह जानकारी कनाडा के वित्त विभाग की एक रिपोर्ट में सामने आई है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग के जोखिमों का आकलन किया गया है।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट ‘2025 असेसमेंट ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एंड टेररिस्ट फाइनेंसिंग रिस्क्स इन कनाडा’ में खालिस्तानी हिंसक चरमपंथियों को साफ शब्दों में आतंकी संगठन कहा गया है। इसमे कहा गया है कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन और सिख्स फॉर जस्टिस जैसे खालिस्तानी समूह कनाडा से पैसे जुटा रहे हैं।

चैरिटी फंड्स और आपराधिक गतिविधियों का सहारा

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये आतंकवादी समूह अपनी गतिविधियों के लिए चैरिटी फंड्स, नशीले पदार्थों की तस्करी, बैंकिंग सेक्टर और मनी सर्विस बिजनेस का दुरुपयोग, क्रिप्टोकरेंसी का प्रयोग और वाहन चोरी जैसी आपराधिक गतिविधियों का सहारा ले रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा अभी भी आतंकी फंडिंग का एक बड़ा केंद्र बना हुआ है। इसमें इस बात पर भी जोर दिया गया है कि प्रवासी भारतीयों से मिलने वाले दान का भी इन संगठनों द्वारा गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वीडियो, गवाहों के बयान और मीडिया रिपोर्टों के जरिए कनाडा में खालिस्तानी उपस्थिति साफ दिखती रही है, लेकिन सालों से इस पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर यह आरोप भी लगा कि उन्होंने भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को लेकर आंखें मूंदे रखीं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि ये समूह अब छोटे-छोटे गुटों में काम कर रहे हैं, जो किसी विशेष संगठन से संबद्ध नहीं हैं, लेकिन उनके मकसद को समर्थन देते हैं।

हमास और हिजबुल्लाह जैसे समूहों को भी मदद

कनाडा की यह रिपोर्ट सिर्फ खालिस्तानी समूहों तक ही सीमित नहीं है। इसमें हमास और हिजबुल्लाह जैसे अन्य आतंकी संगठनों को भी कनाडा से वित्तीय मदद मिलने की बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, ये संगठन अपनी गतिविधियों को बनाए रखने के लिए क्राउडफंडिंग, क्रिप्टोकरेंसी और गैर-लाभकारी संस्थाओं जैसे तरीकों का उपयोग कर रहे हैं।

गौरतलब है कि कनाडा के वित्त विभाग की इस रिपोर्ट से पहले देश की शीर्ष खुफिया एजेंसी, कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (सीएसआईएस) ने भी अपनी एक रिपोर्ट में खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा कनाडा की धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने, धन जुटाने और योजना बनाने के लिए करने का दावा किया था।

सीएसआईएस की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया था कि 1980 के दशक के मध्य से ही कनाडा में राजनीतिक रूप से प्रेरित हिंसक उग्रवाद (पीएमवीई) का खतरा खालिस्तानी चरमपंथियों के माध्यम से उभरा है। ये समूह भारत के पंजाब में खालिस्तान नामक एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए हिंसक तरीकों का उपयोग करना जारी रखे हुए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि कनाडा में भारतीय हस्तक्षेप की गतिविधियां भी बढ़ रही हैं, जो कथित तौर पर खालिस्तान आंदोलन को दबाने के लिए चलाई जा रही हैं।

साल 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया में हत्या के बाद भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव आ गया था। उस समय के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारत सरकार के शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने बेतुका कहकर खारिज कर दिया था।

फिलहाल कनाडा का यह कबूलनामा भारत के साथ उसके संबंधों के लिए काफी अहम माना जा रहा है। दोनों देश अपने कड़वाहट भरे संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले महीने ही दोनों देशों ने एक-दूसरे के यहाँ नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति की घोषणा की थी।

भारत और कनाडा के रिश्ते तब बेहद खराब हो गए थे जब कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों का हाथ होने का आरोप लगाया था। इस घटना के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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