Friday, October 10, 2025
Homeविश्वयूके के अमीरों ने 135 सालों में भारत से लूटे 64.82 ट्रिलियन...

यूके के अमीरों ने 135 सालों में भारत से लूटे 64.82 ट्रिलियन : ऑक्सफैम रिपोर्ट

नई दिल्लीः 135 साल के औपनिवेशिक शासन के दौरान, ब्रिटेन ने भारत से 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति निकाली। इस विशाल राशि में से, लगभग 33.8 ट्रिलियन डॉलर केवल ब्रिटेन के सबसे अमीर 10% लोगों के पास पहुंचा। यह आर्थिक शोषण औपनिवेशिक युग के अंत के साथ समाप्त नहीं हुआ, बल्कि इसका असर आज भी देखा जा सकता है। बड़ी कंपनियां, विशेष रूप से विकासशील देशों में, श्रमिकों का शोषण जारी रखती हैं। उन्हें न्यूनतम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और खराब कामकाजी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे असमानता बनी रहती है।

यह तथ्य ऑक्सफैम इंटरनेशनल की हालिया रिपोर्ट का हिस्सा है, जिसे विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक के दौरान प्रकाशित किया गया। रिपोर्ट ने उपनिवेशवाद के चलते असमानता और आधुनिक निगमों पर इसके प्रभावों पर प्रकाश डाला।

गुलामी के उन्मूलन और संपत्ति का पुनर्वितरण

ऑक्सफैम की रिपोर्ट “टेकर्स, नॉट मेकर्स” ने यह भी उजागर किया कि ब्रिटेन के कई अमीर लोगों की संपत्ति का स्रोत गुलामी के उन्मूलन के दौरान दिए गए मुआवजे में है। ब्रिटेन सरकार ने गुलाम मालिकों को मुआवजा दिया, और यह धन कई परिवारों की संपत्ति बढ़ाने में सहायक बना।

औपनिवेशिक भारत से ब्रिटेन ने निकाली गई संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा शीर्ष 10% अमीर वर्ग के पास गया, जिसमें उन्होंने 52% का उपभोग किया, जबकि मध्यम वर्ग ने 32% संपत्ति पर कब्जा किया।

आधुनिक कंपनियों और उपनिवेशवाद का संबंध

रिपोर्ट में बताया गया कि कई बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की जड़ें उपनिवेशवाद में हैं। जैसे, ईस्ट इंडिया कंपनी ने उपनिवेशों में विशाल संसाधनों का शोषण किया और कानून से ऊपर काम किया। इन कंपनियों की नीतियों ने शोषण का ऐसा मॉडल स्थापित किया, जो आज भी कई देशों में प्रभावी है।

1750 में भारत वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में लगभग 25% योगदान देता था, लेकिन 1900 तक यह आंकड़ा घटकर केवल 2% रह गया। इस गिरावट का कारण ब्रिटिश आर्थिक नीतियां और स्थानीय उद्योगों का शोषण था।

 2024 की असमानता और अरबपतियों की संपत्ति में वृद्धि

ऑक्सफैम की रिपोर्ट ने यह भी दिखाया कि असमानता केवल इतिहास तक सीमित नहीं है। 2024 में, अरबपतियों की कुल संपत्ति में 2 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हुआ, और हर हफ्ते औसतन 4 नए अरबपति बने। शीर्ष 10 अमीरों की संपत्ति में हर दिन 100 मिलियन डॉलर की वृद्धि हो रही है।

उपनिवेशवाद का स्थायी प्रभाव

उपनिवेशवाद ने न केवल आर्थिक असमानता पैदा की, बल्कि यह भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक ढांचे को भी प्रभावित करता रहा। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 0.14% भाषाओं का ही स्कूलों में उपयोग होता है। ब्रिटिश शासन ने जाति व्यवस्था को और औपचारिक बना दिया, जिससे यह और कठोर हो गई। धर्म, जाति, और भूगोल पर आधारित विभाजन ने सामाजिक असमानताओं को गहरा किया, जो आज भी प्रासंगिक हैं।

यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि उपनिवेशवाद का प्रभाव केवल अतीत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आज की वैश्विक आर्थिक असमानता और आधुनिक निगमों के शोषणकारी ढांचे को भी प्रभावित करता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा