नई दिल्लीः ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा की मेजबानी में हुई ब्रिक्स (BRICS) देशों की वर्चुअल बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़े अहम मुद्दे उठाए। उन्होंने आगाह किया कि व्यापारिक नीतियों को राजनीतिक या गैर-आर्थिक मुद्दों से जोड़ने की प्रवृत्ति खतरनाक है। उनका यह बयान उस पृष्ठभूमि में आया जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत के कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगा दिए हैं।
जयशंकर ने कहा कि वैश्विक व्यापार और निवेश के लिए स्थिर और भरोसेमंद माहौल जरूरी है। यदि इसमें पारदर्शिता, न्याय और आपसी लाभ की कमी होगी, तो पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिर हो सकती है। उन्होंने बताया कि दुनिया अभी भी महामारी के बाद की चुनौतियों, भू-राजनीतिक संघर्षों, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास लक्ष्यों की धीमी प्रगति से जूझ रही है।
जयशंकर ने ब्रिक्स के भीतर व्यापारिक प्रवाह की समीक्षा करने और भारत के कुछ सदस्य देशों के साथ बड़े व्यापार घाटे को दूर करने की भी आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों को आपसी व्यापार प्रवाह की समीक्षा करनी चाहिए और भारत के कई साझेदार देशों के साथ मौजूद बड़े व्यापार घाटे को कम करने के उपाय खोजने चाहिए।
उन्होंने चेताया कि मौजूदा समस्याएं जैसे- आपूर्ति शृंखलाओं का टूटना, खाद्य और ऊर्जा संकट और विनिर्माण का बिखराव- अधिक लचीले और विविध उत्पादन नेटवर्क की मांग करते हैं।
जयशंकर ने दोहराया कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली खुली, निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी रहनी चाहिए। इसमें विकासशील देशों के लिए विशेष और अलग तरह की छूट का प्रावधान होना चाहिए।
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ट्रंप के सलाहकार नवारों पर पूर्व विदेश सचिव का हमला
इसी बीच, भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है जिसमें उन्होंने ब्रिक्स देशों को वैम्पायर कहकर उनका मजाक उड़ाया और दावा किया कि यह समूह जल्द ही टूट जाएगा। नवारों ने भारत-चीन रिश्तों पर कटाक्ष किया कि रूस को चीन का साझेदार बताया और यहां तक कह दिया कि ब्राजील राष्ट्रपति लूला के नेतृत्व में डूब रहा है।
सचिव कंवल सिब्बल ने नवारों के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ब्रिक्स कोई गठबंधन नहीं है, बल्कि एक मंच है जो भारत-चीन के मतभेदों के बावजूद काम करता रहा है। जी20 की तरह, जहां मतभेदों के बावजूद सहयोग संभव है। उन्होंने नवारो के आरोपों को पाखंडपूर्ण बताया और सवाल किया कि अमेरिका चीन की गतिविधियों को रोकने में कहाँ सफल रहा है- चाहे वह ताइवान पर दबाव हो, फिलीपींस को धमकाना हो या हिंद महासागर में उसकी नौसैनिक मौजूदगी।
पूर्व राजनयिक ने तंज कसते हुए कहा कि अमेरिका खुद चीन को नहीं रोक सका, जबकि ट्रंप अब उसी चीन के साथ “बड़ा सुंदर सौदा” करना चाहते हैं। उन्होंने नवारो को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा, यह शख्स भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात करता है लेकिन चीन पर टैरिफ की हिमायत नहीं करता। यह न सिर्फ पाखंडी है, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक समझ से भी कोसों दूर है।
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