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‘बीफ नहीं पड़ोसने वाले रेस्तरां भारत और हिंदुत्व के एजेंट…बहिष्कार करो’, ढाका में निकली रैली

ढाका: बांग्लादेश के ढाका में ‘मुस्लिम कन्ज्यूमर राइट्स काउंसिल’ नाम के एक संगठन ने मंगलवार को एक रैली निकाली। इसमें लोगों से गोमांस नहीं परोसने वाले रेस्तरां का बहिष्कार करने की मांग की गई। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सभी रेस्तरां के मेनू में गोमांस के बने व्यंजन अनिवार्य रूप से मिलने चाहिए और जो इसका पालन नहीं करते हैं, उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए। संगठन की ओर से कहा गया कि जो रेस्तरां बीफ नहीं परोसते, वे इस्लामी विचारधाराओं के खिलाफ हैं।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार इस ग्रुप ने पुराने ढाका के बंगशाल इलाके में अल रज्जाक होटल के सामने अपनी रैली निकाली। इस दौरान नारे लगाए गए। इन नारों मे कहा गया कि जो रेस्तरां बीफ नहीं पड़ोसते हैं, वे भारत और हिंदुत्व के एजेंट हैं। ऐसे रेस्तरां का बहिष्कार किया जाना चाहिए। इस दौरान मांग की गई सभी रेस्तरां को अपने मेन्यू में गोमांस व्यंजन शामिल करना अनिवार्य किया जाए, और ऐसा न करने वाले रेस्तरां को बंद कर किया जाए।

‘बीफ खाना इस्लामी पहचान का प्रतीक’

रैली के दौरान काउंसिल के वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश की आबादी में 98% मुस्लिम है। उन्होंने तर्क दिया कि मुसलमान अपने भोजन में गोमांस खाना पसंद करते हैं, लेकिन कुछ रेस्तरां हिंदुत्व विचारधारा का समर्थन करते हैं, और बीफ की भारी मांग के बावजूद इसे परोसने से इनकार करते हैं। इन्होंने कहा कि इस प्रकार यह मुस्लिम उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों से वंचित करने जैसा है।

काउंसिल के संयोजक मुहम्मद आरिफ अल खबीर ने कहा, ‘गोमांस खाना अनिवार्य (फर्द) नहीं है, लेकिन यह इस्लामी पहचान का प्रतीक है। जब हिंदू मान्यताओं की बात आती है, तो गोमांस आस्था का हिस्सा बन जाता है और इसलिए अनिवार्य है।’

आरिफ अल खबीर ने कुरान के सूरह अल-बकराह की आयत 208 का हवाला देते हुए कहा, ‘हालांकि ऊंट का मांस खाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यहूदी आहार कानूनों से जुड़े होने के कारण यह एक मुस्लिम के लिए आवश्यक हो जाता है। इसी तरह, हिंदू मान्यताओं के संदर्भ में, गोमांस खाना मुसलमानों के लिए आस्था का ऐलान बन जाता है।’

‘हिंदू खोले अपना रेस्तरां’

आरिफ ने पश्चिमी देशों की आलोचना करते हुए कहा कि यूरोप और अमेरिका में यहूदी और ईसाई अपने रेस्तरां में मुसलमानों को हलाल भोजन उपलब्ध नहीं कराते हैं। इससे मुसलमानों को अलग हलाल भोजनालय स्थापित करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

आरिफ ने तर्क दिया कि यदि बांग्लादेश में हिंदुओं को खाने में अलग विकल्प चाहिए तो उन्हें तथाकथित मुस्लिम रेस्तरां में मुसलमानों को उनके अधिकारों से वंचित करने की बजाय अपना खुद का रेस्तरां खोलना चाहिए।

आरिफ ने कहा कि जो भी रेस्तरां कम से कम एक बीफ व्यंजन नहीं परोसेगा, उसे हिंदुत्व-समर्थक और भारत का एजेंट करार दिया जाएगा और देशव्यापी बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा।

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