Friday, October 10, 2025
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प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करने की तैयारी, क्या होता है ये…इंटरपोल कैसे मदद कर सकता है?

हासन सीट से मौजूदा जेडीएस सांसद और एनडीए उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े सेक्स वीडियो मामले में सीबीआई ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कर सकती है। पार्टी कार्यकर्ताओं और अन्य महिलाओं के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करने के आरोपी रेवन्ना के लगभग 3,000 वीडियो 28 अप्रैल को वायरल होने के बाद वे जर्मनी भाग गए थे। इस बीच खबरें है कि मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के अधिकारियों ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को बताया है कि उन्होंने प्रज्वल रेवन्ना की गिरफ्तारी के लिए तलाशी तेज कर दी है। आरोपी के खिलाफ लुकआउट नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका है।

न्यूज एजेंसी IANS के अनुसार एसआईटी अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को सीबीआई द्वारा प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करने की संभावना के बारे में भी जानकारी दी, जिससे जांच में तेजी आएगी। ऐसे में सवाल है कि क्या ब्लू कॉर्नर नोटिस से प्रज्वल रेवन्न को विदेश से वापस भारत लाने में मदद मिल पाएगी। ब्लू कॉर्नर नोटिस क्या होता है और इसके क्या मायने हैं, आइए जानते हैं।

इंटरपोल के लिए इस्तेमाल होता है कलर-कोड नोटिस

ब्लू कॉर्नर नोटिस इंटरपोल की ओर से जारी होने वाले वाली नोटिस की प्रणाली का एक हिस्सा है। इसकी मदद से दुनिया भर के देशों में वांछित व्यक्तियों/अपराधियों को लेकर अलर्ट साझा किया जाता है। साथ ही उस शख्स के बारें सूचना के लिए अनुरोध किया जा सकता है। कुल मिलाकर कहें तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैली आपराधिक गतिविधियों से निपटने और इस बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएं एक-दूसरे से साझा करने में यह नोटिस महत्वपूर्ण है।

यह नोटिस सात प्रकार के होते हैं – रेड नोटिस, येलो नोटिस, ब्लू नोटिस, ब्लैक नोटिस, ग्रीन नोटिस, ऑरेंज नोटिस और पर्पल नोटिस। इन सभी नोटिस के अलग-अलग मायने हैं।

रेड नोटिस- अभियोजन या सजा काटने के लिए वांछित व्यक्तियों के संभावित मौजूदगी वाले स्थान की तलाशी और गिरफ्तारी की मांग करना।

येलो नोटिस– लापता व्यक्तियों, खासकर नाबालिगों का पता लगाने में मदद करने के लिए या ऐसे लोगों की पहचान करने में मदद करने के लिए जो खुद को पहचानने में असमर्थ हों।

ब्लू नोटिस- आपराधिक जांच के संबंध में किसी व्यक्ति की पहचान, स्थान या गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त जानकारी एकत्र करने के लिए।

ब्लैक नोटिस- अज्ञात शवों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए।

ग्रीन नोटिस- किसी व्यक्ति की आपराधिक गतिविधियों के बारे में चेतावनी देने के लिए, अगर वो शख्स किसी दूसरे देश में पब्लिक सेफ्टी के लिए संभावित खतरा हो।

ऑरेंज नोटिस- पब्लिक सेफ्टी के लिहाज से गंभीर और संभावित खतरे को लेकर किसी शख्स, घटना, वस्तु या प्रक्रिया के बारे में चेतावनी देने के लिए।

पर्पल नोटिस- अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तौर-तरीकों, वस्तुओं, उपकरणों और छिपने के तरीकों के बारे में जानकारी मांगना या प्रदान करना।

ये नोटिस किसी सदस्य देश के इंटरपोल नेशनल सेंट्रल ब्यूरो के अनुरोध पर इंटरपोल के जनरल सचिवालय द्वारा जारी किए जाते हैं और ये सूचना सभी सदस्य देशों के लिए उपलब्ध हो जाती है। गौरतलब है कि इंटरपोल दुनिया भर में पुलिस सहयोग और अपराध नियंत्रण के लिए काम करता है। फ्रांस के ल्योन में स्थित यह दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है।

ब्लू कॉर्नर नोटिस के लिए किसी देश की बड़ी जांच एजेंसी इंटरपोल से अनुरोध करती है। भारत में अमूमन स्थानीय जांच एजेंसियों की पहल पर सीबीआई इंटरपोल से ब्लू कॉर्नर या फिर रेड कॉर्नर जैसे नोटिस करने का अनुरोध करती है।

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