नई दिल्ली: राजीव प्रताप रूडी ने कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के सचिव (प्रशासन) के रूप में एक और कार्यकाल हासिल कर लिया है। उन्होंने क्लब के इतिहास के सबसे कड़े चुनावों में से एक में अपने साथी भाजपा नेता संजीव बालियान को हराया। 12 अगस्त को इसके लिए वोट डाले गए थे। आम तौर पर साधारण माना जाने वाला ये चुनाव बड़े राजनीतिक ड्रामा में इसलिए बदल गया क्योंकि इसमें दोनों उम्मीदवार भाजपा से ही थे। ऐसे में गुटबाजी, अलग-अलग प्रचार शैली देखी गई। इसके अलावा अन्य सभी दलों के दिग्गज सांसद भी इस प्रक्रिया में शामिल नजर आए। साथ ही उम्मीदवारों की जाति पर आधारित रणनीति भी हावी रही।
छह बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रूडी नागरिक उड्डयन से लेकर कौशल विकास तक कई मंत्रालय संभाल चुके हैं। वे एक लाइसेंस प्राप्त कमर्शियल पायलट भी हैं और उन्हें अपने 25 साल के कार्यकाल के दौरान कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के बुनियादी ढाँचे को बदलने का श्रेय दिया जाता है। दूसरी ओर उनके प्रतिद्वंद्वी संजीव बालियान उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद और कृषि एवं जल संसाधन राज्य मंत्री रह चुके हैं। बालियन अपने जाट समुदाय के आधार और अपनी जमीनी राजनीतिक शैली के लिए भी जाने जाते हैं।
कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया में गवर्निंग काउंसिल की जीत के पश्चात भव्य स्वागत का आयोजन किया गया। धन्यवाद।#ConstitutionalClub #rajivprataprudy @ccoi_1947 pic.twitter.com/yTvm1BLOYB
— Rajiv Pratap Rudy (@RajivPratapRudy) August 13, 2025
बालियान ने पेश की थी जोरदार चुनौती
रूडी को 354 प्रत्यक्ष वोट और 38 डाक मतपत्र मिले। कई रिपोर्टों में जीत का अंतर 64 से 100 वोटों के बीच बताया गया है। बालियान ने इस बार जोरदार चुनौती पेश की थी और निशिकांत दुबे जैसे भाजपा सहयोगियों का खुला समर्थन उन्हें मिला। जबकि रूडी को कई विपक्षी सांसदों का समर्थन प्राप्त था। दिलचस्प ये भी रहा कि इस चुनाव में जाति भी एक अहम कारक बनी। यह खुलकर सामने भी नजर आया।
जारी है मनहूसियत का अभियान,
अबकी बारी संजीव बाल्यान।
वैसे तो सुबह जब खबर आई कि बाल्यान का प्रचार करने मनहूस दुबे जी पहुंचे हैं, उसी वक्त कंस्टीट्यूशन क्लब के चुनावों के नतीजे घोषित कर देने चाहिए थे, पर प्रक्रिया तो निभानी थी।
मनहूस दुबे जी के संपर्क मात्र से लोकसभा के बाद अब…
— Rohini Singh (@rohini_sgh) August 12, 2025
ज्यादातर भाजपा मंत्रियों और सहयोगी दलों शिवसेना और टीडीपी ने बालियान के लिए अपना समर्थन जुटाया, जबकि श्री रूडी अपने भरोसेमंद समर्थकों पर निर्भर रहे। चुनावों पर पैनी नजर रखने वाले एक जानकार ने बताया कि यह रूडी विरोधी चुनाव बन गया था, क्योंकि उनका विरोधी गुट क्लब के संचालन के तौर-तरीके को चुनौती दे रहा था। ऐसा कहा गया कि क्लब में नौकरशाहों के प्रवेश ने सांसदों का इस पर विशेषाधिकार छीन लिया है, और कई सांसद, खासकर महिलाएँ, क्लब की सुविधाओं से दूर रह रही हैं।
मेरे मित्र श्री राजीव प्रताप रूड़ी (@RajivPratapRudy) जी को Constitutional Club के चुनाव में सचिव पद पर शानदार जीत की हार्दिक बधाई।
सांसदों और पूर्व सांसदों का यह विश्वास है कि जिस तरह आपने क्लब को सजाया-संवारा है, उसी तरह इसे और आगे बढ़ाएंगे।यह चुनाव दो मित्रों के बीच हुआ,… pic.twitter.com/RArJg9tZCf
— Syed Shahnawaz Hussain (@ShahnawazBJP) August 13, 2025
संविधान सभा के सदस्यों के लिए 1947 में स्थापित और 1965 में औपचारिक रूप से उद्घाटित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब, लुटियंस दिल्ली के सबसे विशिष्ट स्थानों में से एक है। इसकी संचालन परिषद का नेतृत्व लोकसभा अध्यक्ष करते हैं, और सचिव (प्रशासन) जैसे पद का यहां होने वाले आयोजनों, सुविधाओं और सदस्यों पर विशेष प्रभाव रहता है। रूडी के लंबे कार्यकाल में यह क्लब अब एक शानदार केंद्र में तब्दील हो गया है, जहाँ एक स्पा, स्विमिंग पूल, रेस्टोरेंट और आधुनिक आयोजन स्थल हैं।
CCI चुनाव में 707 वोट डाले गए
इस मतदान में कुल 1,295 योग्य मतदाताओं में से 707 ने हिस्सा लिया, जो क्लब के इतिहास में सबसे ज्यादा मतदान में से एक था। मतदाता सूची में भारतीय राजनीति के दिग्गजों जैसे अमित शाह, जेपी नड्डा, सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे आदि नाम शामिल थे।
Congress Parliamentary Party Leader Smt. Sonia Gandhi casted her vote in the Election of Constitution Club. @INCIndia pic.twitter.com/Ajy0opHKl6
— Rajeev Shukla (@ShuklaRajiv) August 12, 2025
मतगणना के 26 दौर हुए। चुनाव प्रचार में भी जोरदार पैरवी, देर रात तक चली बातचीत और सावधानीपूर्वक जातीय समीकरण बनाने का भी दौर चला। रूडी को राजपूतों का जबरदस्त समर्थन मिला और बालियान ने मुख्य तौर पर जाट और ग्रामीण सांसदों का समर्थन हासिल किया।
बाल्यान ने क्लब के ‘खोए हुए गौरव’ को बहाल करने के वादे के साथ प्रचार किया। दूसरी ओर रूडी पर इसे ‘व्यावसायिक स्थल’ में बदलने का आरोप लगाया। बहरहाल, रूडी की आसान जीत ने उनके मजबूत प्रभाव को जाहिर किया। साथ ही बेहद उत्सुकता से देखे गए इस चुनाव में भाजपा की अंदरूनी कमजोरियाँ भी उजागर हुईं।
राजीव प्रताप रूडी ने कंस्टीट्यूशन क्लब का चुनाव जीता।उन्होंने संजीव बाल्यान को 102 वोटों से शिकस्त दी।रूडी और बाल्यान दोनों बीजेपी के नेता हैं इसलिए ये लड़ाई चर्चा का केंद्र बनी हुई थी।
(वैसे आज के पहले कम लोग ही जानते होंगे कि कंस्टीट्यूशन क्लब संसद के पास बना सांसदों के लिए एक…
— Sukesh Ranjan (@RanjanSukesh) August 12, 2025
इस चुनाव से क्या निकल कर आया?
यह मुकाबला एक दुर्लभ अवसर भी था जहाँ पार्टी के भीतर की प्रतिस्पर्धा ने ही विपक्षी प्रतिद्वंद्विता को फीका कर दिया। जहाँ रूडी की जीत संसद में उनके मजबूत नेटवर्क को बताती है, वहीं बाल्यान की चुनौती को इस बात का संकेत माना जा रहा है कि लंबे समय से चले काबिज पद भी अब आंतरिक परीक्षणों से अछूते नहीं रह गए हैं।एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार कई सदस्यों का कहना है कि इस चुनाव ने क्लब के गलियारों में एक सुगबुगाहट पैदा कर दी है। बालियान के लिए यह हार भाजपा के आंतरिक सत्ता संघर्ष में झांकने का भी अवसर देता है।
संसदीय क्लब के चुनाव में मैं संजीव बालियान जी के साथ था,हूँ ।यह चुनाव बालियान जी के जीवन का ऐतिहासिक चुनाव है,इसने उनकी ताक़त को दिखाया,कॉंग्रेस अध्यक्ष खडगे साहब व सोनिया गांधी जी का क्लब के चुनाव में वोट देने आना उनकी जीत है,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तत्कालीन सांसद तथा दिल्ली…
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) August 13, 2025
बहरहाल, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब जो आमतौर पर राजनीति की खबरों के लिहाज से पीछे रहता है, वहां एक हफ्ते के लिए जबर्दस्त सियासी खेल खेला गया। जैसा कि एक पर्यवेक्षक ने कहा, ‘यह चुनाव तो बस शुरुआत है। यह दर्शाता है कि कोई भी इससे अछूता नहीं है और जहाँ तक क्लब का सवाल है, भविष्य में ऐसी लड़ाइयाँ और नियमित हो सकती हैं।’
इस दिलचस्प मुकाबले पर पहली बार की भाजपा सांसद कंगना रनौत ने टिप्पणी की, “पहली बार भाजपा बनाम भाजपा है, इसलिए यह काफी भ्रमित करने वाला है, खासकर हम जैसे नए लोगों के लिए।”
सचिव (प्रशासन) पद के अलावा, अन्य प्रमुख पद निर्विरोध भरे गए। डीएमके सांसद पी. विल्सन सचिव (कोषाध्यक्ष) चुने गए, कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला सचिव (खेल) चुने गए, और विरोधी उम्मीदवारों के नाम वापस लेने के बाद डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने सचिव (संस्कृति) का पद हासिल किया।