Friday, October 10, 2025
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भाजपा सांसद अखबार के संपादकीय पर नाराज, कहा- ये एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश

नई दिल्ली: गुजरात के पलिताना में मांसाहारी भोजन पर बैन के विषय पर एक अखबार के संपादकीय पर भाजपा सांसद लहर सिंह सिरोया ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने अखबार पर एक अल्पसंख्यक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है और माफी मांगने की भी मांग की है।

कर्नाटक से राज्य सभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने ‘डेक्कन हेराल्ड’ के संपादक को कड़े शब्दों में लिखे पत्र में कहा, ‘मुझे आश्चर्य है कि आपका अखबार एक कम संख्या वाले अल्पसंख्यक की बजाय दूसरे बड़ी संख्या वाले अल्पसंख्यक समुदाय की वकालत कर रहा है। आप जो कर रहे वह भी हमारी नजरों में बहुसंख्यकवाद है? क्या जैन समाज के लोगों को अपने पवित्र शहर में अपनी आस्था और अहिंसा में विश्वास का पालन करने का अधिकार नहीं है?’

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, डेक्कन हेराल्ड ने ‘मांस प्रतिबंध बहुसंख्यक खाद्य संस्कृति की उपेक्षा करता है’ (Meat ban disregards majority food culture) के शीर्षक से अपने संपादकीय में प्रमुख जैन तीर्थ स्थल पलिताना में मांसाहारी भोजन बेचने या उपभोग करने पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले पर टिप्पणी की थी। इसमें कहा गया था कि यह बैन इस समाज के कहने पर लगाया गया है।

हरियाणा में कुरूक्षेत्र और उत्तराखंड में हरिद्वार जैसी जगहों पर भी मांसाहारी रेस्तरां और मांस, मछली और अंडे की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का इस संपादकीय में जिक्र किया गया था। इसमें कहा गया, ‘ऐसे प्रतिबंध मुस्लिम समुदाय के लिए प्रतिकूल हैं, जो मांस और मुर्गी की आपूर्ति करते हैं, साथ ही बहुसंख्यक आबादी जो मांसाहारी भोजन का सेवन करती है, उनके लिए भी यह फैसला सही नहीं है। यह ध्यान देना चाहिए कि जैन प्याज, आलू और सभी जड़ वाली सब्जियों से भी परहेज करते हैं, जबकि मुसलमान सूअर का मांस नहीं खाते हैं… भोजन स्वाभाविक रूप से एक व्यक्तिगत पसंद है, और किसी की आहार संबंधी प्राथमिकताओं को दूसरे पर थोपना मौलिक रूप से अनुचित हैं। हर किसी को अपना भोजन चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।’

संपादकीय में आगे कहा गया, ‘इस तरह की राजनीतिक मनमानी मुसलमानों, ईसाइयों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी सहित अधिकांश लोगों की आहार संबंधी प्रथाओं की उपेक्षा करती है, जो आम तौर पर मांसाहारी भोजन का सेवन करते हैं। कई उच्च जातियों वाले समुदाय जैसे भूमिहार और राजपूत भी अपने दैनिक आहार में मांसाहारी चीजें शामिल करते हैं।’

‘दो समुदाय में कलह की कोशिश नहीं करे अखबार’

इस एडिटोरियल के बाद अखबार पर जैन संस्कृति और उसके सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए सिरोया ने कहा कि मुस्लिम समुदाय ने जैन संतों और भावनाओं का ‘बहुत सम्मान’ किया है।

उन्होंने पत्र में लिखा, ‘हम सद्भाव में रहे हैं। एक अखबार को अपनी गलत उदारता को साबित करने के लिए दो समुदायों के बीच कलह पैदा करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। फिर पालिताना एक छोटा शहर है, न कि एक ऐसा शहर जिसे आप जानबूझकर दिखाकर पाठकों के सामने ऐसा पेश कर रहे हैं कि कोई बहुत बड़ी समस्या आ गई है।’

यह भी पढ़ें- गुजरातः जैन भिक्षुओं की मांग पूरी, पालिताना बना मांसाहार मुक्त

उन्होंने लिखा, ‘मैं दशकों से डेक्कन हेराल्ड का पाठक रहा हूं और इसके महान संस्थापकों के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है। लेकिन मैं इस रवैये का पुरजोर विरोध करता हूं और कम से कम आपसे ईमानदार माफी की उम्मीद करूंगा, आपने मेरी और मेरे समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।’

पालितान में मांसाहार बैन क्यों?

हाल ही में गुजरात के भावनगर जिले में स्थित पालिताना में मांसाहार भोजन पर बैन लगाया गया है। पालिताना जैनियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध है और इसे शत्रुंजय पर्वत के आसपास स्थित जैन मंदिर शहर के रूप में भी जाना जाता है।

पालिताना, गुजरात में स्थित, जैन धर्म के लिए सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। मांसाहार पर बैन का फैसला लगभग 200 जैन भिक्षुओं के विरोध प्रदर्शन के बाद आया, जिन्होंने लगभग 250 कसाई की दुकानों को बंद करने की मांग की थी।

जैन धर्म के अनुसार, शत्रुंजय पहाड़ियां जहाँ पालिताना स्थित है, ‘शाश्वत भूमि’ है। यह माना जाता है कि यह पवित्र भूमि समय के चक्र से परे है। जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 ने इस पवित्र भूमि पर तपस्या की है और मोक्ष प्राप्त किया है।

कहा जाता है कि अनगिनत जैन संतों और तपस्वियों ने भी यहाँ आकर मोक्ष प्राप्त किया है। जैन धर्म के अनुयायी मानते हैं कि यह तीर्थस्थल अरबों साल पुराना है और आने वाले समय तक अनंत काल तक सुरक्षित रहेगा। पालिताना में 800 से अधिक जैन मंदिर हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध आदिनाथ मंदिर है।

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