गांधीनगरः भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व सीएम विजय रुपाणी के अंतिम संस्कार में खर्च हुए पैसों का वहन करने से मना कर दिया है। ऐसे में राजनैतिक विवाद तेज हो गया है। ऐसे में रुपाणी के परिवार को लगभग 25 लाख रुपये का खर्च उठाना पड़ा।
राज्य भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल राजकोट की यात्रा के दौरान इस विवाद को लेकर किए गए सवालों को टाल दिया। इससे पार्टी के सौराष्ट्र गुट के भीतर गहरे आंतरिक मतभेद की अटकलें तेज हो गईं हैं।
विजय रुपाणी के अंतिम संस्कार के तीन महीने बाद सामने आया मामला
राजकोट में बीते रविवार (14 सितंबर) को राजनीतिक तनाव तब और बढ़ गया जब राज्य भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के अंतिम संस्कार में खर्च संबंधी सवालों का जवाब नहीं दिया। यह खर्च लगभग 25 लाख रुपये का बताया जा रहा है।
यह विवाद पूर्व सीएम विजय रुपाणी के अंतिम संस्कार के करीब 3 महीने बाद सामने आया है। उनका अंतिम संस्कार 16 जून 2025 को राजकोट में किया गया था। इस दौरान अमित शाह, सीएम भूपेंद्र पटेल समेत कई अन्य शीर्ष भाजपा नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। रुपाणी के अंतिम संस्कार में हजारों कार्यकर्ता भी शामिल हुए थे।
हालांकि, इस समारोह के बाद चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब इस दौरान इस्तेमाल हुए फूलों, टेंटों और अन्य कार्यों का बिल भाजपा द्वारा चुकाने के बजाय इसे रुपाणी के शोकाकुल परिवार को दे दिया गया।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा रुपाणी परिवार को जुलाई में इसका पता तब चला जब अंतिम संस्कार में सामग्री मुहैया कराने वाले लोग परिवार के पास पहुंचे और भुगतान मांगने लगे।
‘नमोत्सव’ कार्यक्रम के दौरान मामला सामने आया
ऐसे में एक अजीबोगरीब स्थिति में फंसने के बाद विजय रुपाणी परिवार ने कर्ज चुकाना शुरू कर दिया है। इस बीच पार्टी में विश्ववासघात की सुगबुगाहट तेज हो गई है। रविवार को सार्वजनिक रूप से यह मामला सामने तब आया जब पाटिल रेसकोर्स मैदान में आयोजित ‘नमोत्सव’ कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे। इससे पहले पाटिल ने सर्किट हाउस में विधायकों और संगठन के नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की।
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इस दौरान जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया तो वह अनसुना करके चलते बने। भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के बारे में पूछे जाने पर भी उन्होंने इस सवाल को अनसुना कर दिया। पाटिल से जब रुपाणी के अंतिम संस्कार के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा “यह नमोत्सव का मामला है, मैं बाद में जरूर जवाब दूँगा।
गुजरात में राजनैतिक संकट की आहट
भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, इस खर्च को वहन न करने का फैसला सौराष्ट्र के दो ताकतवर नेताओं द्वारा लिया गया है, जो अंदर ही अंदर चल रहे सत्ता संघर्ष का संकेत है।
हालांकि, पार्टी के कुछ दिग्गजों का मानना है कि पाटिल की चुप्पी इस मुद्दे की संवेदनशीलता को दर्शाती है जबकि कुछ नेताओं का मानना है कि यह गुजरात में राजनैतिक उथल-पुथल का संकेत है।
यह विवाद अब गहराता दिखाई दे रहा है क्योंकि राजकोट और सौराष्ट्र के नेता इस मामले मपर अपनी बेचैनी व्यक्त कर रहे हैं। इस घटना से शोकाकुल रुपाणी के परिवार के प्रति सहानुभूति रखने वाले लोगों में आक्रोश पैदा कर रहा है। इसके साथ ही यह भाजपा नेतृत्व में खामियां भी उजागर कर रहा है।