नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट (SC) ने 7 अक्टूबर, मंगलवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के बाद बिहार की अंतिम मतदाता सूची से बाहर किए गए 3.66 लाख वोटर्स का विवरण उपलब्ध कराने को कहा है। अदालत ने कहा है कि इसमें शामिल किए गए 21 लाख वोटर्स के नाम भी उपलब्ध कराएं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग को बाहर रखे गए मतदाताओं के बारे में जो भी जानकारी मिलेगी, उसे गुरुवार (9 अक्टूबर) तक सौंप देगा। जब वह एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगे की सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्त की चिंता
पीठ ने इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति पर चिंता व्यक्त की कि क्या अंतिम मतदाता सूची में जोड़े गए मतदाता पहले ही मसौदे से हटा दिए गए थे या पूरी तरह से नई प्रविष्टियाँ थीं। इस पर चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि बिहार एसआईआर के तहत जोड़े गए ज्यादातर नाम नए मतदाताओं के हैं और कुछ ही पुराने मतदाता हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी के पास मतदाता सूची का मसौदा है और अंतिम सूची भी 30 सितंबर को प्रकाशित हो चुकी है। इसलिए तुलनात्मक विश्लेषण के माध्यम से आवश्यक आंकड़े प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
जस्टिस बागची ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा कि अदालती आदेशों के परिणामस्वरूप चुनावी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और पहुंच बढ़ी है।
पीठ ने कहा कि चूंकि अंतिम सूची में मतदाताओं की संख्या से ऐसा प्रतीत होता है कि मसौदा सूची की संख्या में वृद्धि की गई है, इसलिए किसी भी भ्रम से बचने के लिए अतिरिक्त मतदाताओं की पहचान का खुलासा किया जाना चाहिए।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “आप हमसे सहमत होंगे कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और पहुंच में सुधार हुआ है। आंकड़ों से पता चलता है कि आपके द्वारा प्रकाशित मसौदा सूची में 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए थे और हमने कहा कि जो भी मर गया है या स्थानांतरित हो गया है वह ठीक है लेकिन यदि आप किसी को हटा रहे हैं तो कृपया नियम 21 और एसओपी का पालन करें।”
चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने क्या कहा?
जस्टिस बागची ने कहा, “हमने यह भी कहा कि जिनके भी नाम हटाए गए हैं कृपया उनका डेटा अपने निर्वाचन कार्यालयों में जमा कराएं। अब अंतिम सूची संख्याओं की सराहना प्रतीत होती है और सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भ्रम की स्थिति है – जोड़े गए नामों की पहचान क्या है क्या वे हटाए गए नाम हैं या नए नाम हैं।”
इस पर राकेश द्विवेदी ने जवाब दिया कि ज्यादातर नाम नए मतदाताओं के हैं और कुछ पुराने मतदाता भी हैं जिनके नाम ड्राफ्ट रोल प्रकाशित होने के बाद जोड़े गए थे। द्विवेदी ने कहा, “अब तक किसी भी छूटे हुए मतदाता ने कोई शिकायत या अपील दायर नहीं की है।”
30 सितंबर को चुनाव आयोग ने बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करते हुए कहा कि अंतिम मतदाता सूची में मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 47 लाख घटकर 7.42 करोड़ रह गई है, जबकि चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से पहले यह संख्या 7.89 करोड़ थी।
हालांकि अंतिम संख्या में 17.87 लाख की वृद्धि हुई है जबकि 1 अगस्त को जारी मसौदा सूची में 7.24 करोड़ मतदाता थे। मसौदा सूची में मृत्यु, प्रवास और मतदाताओं की दोहरीकरण सहित विभिन्न कारणों से 65 लाख मतदाताओं के नाम मूल सूची से हटा दिए गए थे।
बिहार के मगध प्रमंडल में सबसे अधिक संख्या में नये मतदाता जुड़े जबकि मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में अंतिम मतदाता सूची में सबसे अधिक संख्या में नाम हटाए गए।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर को बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान किया है। यहां पर 243 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव दो चरणों में कराए जाएंगे। 6 नवंबर और 11 नवंबर को चुनाव होंगे और 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।