Bihar SIR: बिहार में इन दिनों चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (Special Intensive Revision) में लोग बड़ी संख्या में हिस्सा ले रहे हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, अब तक 2,27,636 लोगों ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर आपत्तियां और दावे दर्ज कराए हैं।
आयोग ने बताया कि इनमें से 29,872 लोगों ने नाम जोड़ने की और 1,97,764 लोगों ने नाम हटाने की अर्जी दी है। सिर्फ पिछले सात दिनों में आयोग ने 33,771 आवेदन निपटाए हैं।
इस साल 13 लाख से ज्यादा नए वोटर
इस बार सबसे अच्छी बात यह है कि पहली बार वोट डालने वाले युवा बड़ी संख्या में आगे आ रहे हैं। सिर्फ अगस्त महीने में ही 13,33,793 युवाओं ने फॉर्म-6 भरकर मतदाता बनने के लिए आवेदन किया है। अगर सभी आवेदन मंज़ूर हो जाते हैं तो इस साल 13 लाख से ज्यादा नए वोटर वोटर लिस्ट में जुड़ जाएंगे। आयोग का कहना है कि सिर्फ पिछले हफ्ते में ही 61,248 आवेदन निपटाए गए हैं।
राजनीतिक पार्टियाँ भी आईं आगे
आयोग की रिपोर्ट में बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) की भूमिका को भी अहम बताया गया है। ये एजेंट अलग-अलग राजनीतिक दलों की ओर से मतदाताओं की मदद कर रहे हैं। इस काम में राजनीतिक पार्टियाँ भी मदद कर रही हैं। अब तक 12 राजनीतिक दलों के 1,60,813 बूथ लेवल एजेंट इस काम में लगे हैं। इनमें से सीपीआई (एमएल) के एजेंट्स ने सबसे ज़्यादा 118 दावे और आपत्तियां दर्ज कराई हैं, जबकि राजद (RJD) के एजेंट्स ने 10 फॉर्म जमा किए। सीपीआई (एमएल) के 118 आवेदनों में से 15 नाम जोड़ने और 103 नाम हटाने के लिए थे।
अधिकारियों का मानना है कि सभी पार्टियों, आम जनता और चुनाव आयोग के मिलकर काम करने से यह पूरी प्रक्रिया और भी साफ और बिना गलती के हो रही है। बता दें कि इससे पहले मतदाता सूची से करीब 65 लाख ऐसे नाम हटाए गए थे जो गलत या डुप्लीकेट थे। दावे और आपत्तियां दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त तय की गई है। इसके बाद संशोधित मतदाता सूची जारी की जाएगी।
इस बीच द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि चुनाव आयोग ने उन हजारों मतदाताओं को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है, जिनके दस्तावे संतोषजनक नहीं पाए गए हैं। चुनाव अधिकारियों ने बताया कि ऐसे अधिकतर मामले नेपाल और पश्चिम बंगाल से लगे सीमावर्ती जिलों में सामने आए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन जिलों पर खास ध्यान दिया जा रहा है, उनमें पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और सुपौल शामिल हैं। ये जिले पड़ोसी राज्यों और देशों से सटे हैं, जिस वजह से यहाँ मतदाता सूची में गड़बड़ी की आशंका ज्यादा होती है।
द हिंदू की रिपोर्ट में चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि नोटिस उन लोगों को भेजे जा रहे हैं जिन्होंने फॉर्म तो भरे, लेकिन कोई सहायक दस्तावेज नहीं दिया, या फिर गलत दस्तावेज जमा किए हैं। कुछ मामलों में तो उनकी नागरिकता पर भी सवाल हैं।
इन जिलों के कई अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने दस्तावेजों की जाँच शुरू कर दी है और नोटिस भी भेजे जा रहे हैं। इन नोटिसों को अधिकारियों द्वारा सीधे संबंधित व्यक्ति को दिया जा रहा है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह उन तक पहुँचे।
अगले हफ्ते से इन मामलों की सुनवाई शुरू हो जाएगी। उदाहरण के लिए, पूर्वी चंपारण के रक्सौल विधानसभा क्षेत्र में पहली सुनवाई 3 सितंबर को होगी, जबकि मधुबनी में यह 7 सितंबर को तय है।