Friday, October 10, 2025
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बिहार में बाढ़ का खतराः 50 साल बाद कोसी नदी का फिर दिखा रौद्र रूप, गंडक भी उफान पर, लाखों प्रभावित

पटनाः बिहार में नेपाल से हो रही मूसलधार बारिश के कारण कोसी और गंडक नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। शनिवार शाम को वीरपुर बैराज पर कोसी का जलस्राव 5.79 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया, जिससे राज्य के 13 जिलों में बाढ़ का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। नेपाल में बीते 72 घंटों से हो रही भारी बारिश के बाद लगभग 11 लाख क्यूसेक पानी बिहार की नदियों में छोड़ा गया है, जिससे कोसी, गंडक और गंगा समेत कई प्रमुख नदियां उफान पर हैं।

कोसी नदी का रौद्र रूप: 50 वर्षों में पहली बार इतना पानी

स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले 50 वर्षों में कोसी नदी में इतना जलस्तर नहीं देखा गया। 2008 में जब कुशहा बांध टूटा था, तब कोसी में दो से तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जो बांध टूटने का कारण बना। इस बार, कोसी बराज से 5.79 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया है, जिससे स्थिति और अधिक गंभीर हो गई है। राज्य के जल संसाधन विभाग ने इस जलस्राव को मानसून के इस सीजन का सबसे अधिक प्रवाह बताया है।

जल संसाधन विभाग और प्रशासन सतर्क

बिहार के जल संसाधन विभाग ने बाढ़ की गंभीरता को देखते हुए सभी संवेदनशील और अतिसंवेदनशील स्थलों पर अभियंताओं की तैनाती की है। 45 कनिष्ठ अभियंता, 25 सहायक अभियंता, 17 कार्यपालक अभियंता और तीन अधीक्षण अभियंता लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। साथ ही, तटबंधों की सुरक्षा के लिए हर किलोमीटर पर तटबंध श्रमिकों की तैनाती की गई है। विभागीय स्तर पर प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल के नेतृत्व में 24 घंटे संचालित ‘वार रूम’ भी स्थापित किया गया है, जो बाढ़ से निपटने के लिए सभी एहतियाती कदम उठा रहा है।

बाढ़ से 1.41 लाख लोग प्रभावित

आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, गंडक, कोसी, बागमती और महानंदा नदियों के जलस्तर में वृद्धि से बिहार के 13 जिलों में 1.41 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इनमें पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और मधुबनी शामिल हैं। प्रभावित क्षेत्रों में जिला प्रशासन द्वारा सामुदायिक रसोई केंद्रों का संचालन किया जा रहा है, ताकि लोगों को राहत पहुंचाई जा सके।

गंडक और गंगा का जलस्तर भी खतरे के निशान पर

कोसी के साथ-साथ गंडक नदी भी अपने उफान पर है। वाल्मीकिनगर बैराज से 5.38 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे पश्चिम चंपारण के निचले इलाकों में पानी भर गया है। इसके अलावा, गंगा का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे पटना सहित कई जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। पुनपुन नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण पहले ही पटना के कई हिस्से जलमग्न हो चुके हैं।

प्रभावित जिलों में अलर्ट और बचाव अभियान

नेपाल और बिहार के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण राज्य के कई हिस्सों में जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। जल संसाधन विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार तटबंधों की निगरानी कर रहे हैं और जानमाल की हानि को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। प्रभावित जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।

 झारखंड के साहिबगंज में हालात खराब हुए

झारखंड के साहिबगंज में गंगा में पिछले पांच दिन से आई बाढ़ और विकराल रूप ले सकती है। बिहार के कोसी बैराज से शनिवार को 6.81 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से गंगा का जलस्तर बढ़ना तय है। इसे लेकर साहिबगंज जिला प्रशासन ने दियारा इलाकों में रहने वाली आबादी को अलर्ट किया है। लोगों को तटीय क्षेत्रों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए प्रशासन ने कई नावें उपलब्ध कराई हैं।

साहिबगंज के उपायुक्त हेमंत सती ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से बनाए गए बाढ़ राहत शिविरों में लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है। साहिबगंज में गंगा नदी में शनिवार सुबह जल स्तर 27.95 मीटर मापा गया था। यह खतरे के निशान से ऊपर है। अब सुपौल में वीरपुर बैराज से अपराह्न 12 बजे पानी छोड़ने के बाद जलस्तर में अत्यधिक वृद्धि हो सकती है। लोगों से अपील की गई है कि गंगा नदी के पास न जाएं और सुरक्षा के सभी उपाय अपनाएं।

आईएएनएस इनपुट के साथ

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