Friday, October 10, 2025
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खेती बाड़ी-कलम स्याही: बिहार में जातीय समीकरण को साधने की भाजपा की एक ‘नयी जुगत’

विधानसभा चुनाव से पहले पटना का सियासी पारा छलांगे लगा रहा है। एनडीए और महागठबंधन, दोनों के भीतर छत्रप पार्टियां गर्मी बढ़ा रही है। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार दौरे पर हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून को सिवान में सौगातों की बरसात करेंगे। आखिर ऐसा हो भी क्यों न, दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव के मूड में आ चुका है।

चुनावी साल है ऐसे में प्रधानमंत्री जब भी बिहार आते हैं तो बड़ी सौगात लेकर आते हैं। 20 जून को अपने सीवान दौरे के दौरान प्रधानमंत्री बिहार को 10 हजार करोड़ से अधिक की योजनाओं की सौगात दे रहे हैं। नगर विकास एवं आवास विभाग, रेलवे, बिजली सहित कई विभागों के अंतर्गत बिहार को तोहफे मिलेंगे। 

20 जून को पीएम मोदी 51 हजार पीएम आवास योजना की पहली किस्त देने जा रहे हैं,  जिससे 6684 लाभुक अपने नए घर में गृह प्रवेश करेंगे। योजना की कुल लागत 510 करोड़ है। इसके अलावा प्रधानमंत्री बिहार के लिए कई योजनाओं का शिलान्यास करेंगे, जिनकी कुल लागत 3132 करोड़ होगी। पीएम मोदी सिवान से कई योजनाओं का उद्घाटन भी करेंगे, जिनकी कुल लागत 2229 करोड़ होगी।

जातीय समीकरण को साधने की कोशिश

विकास की बातों के साथ भाजपा इस बार जातीय समीकरण को लेकर भी कुछ अलग करने का विचार कर ही है। यही वजह है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर बीजेपी ने राज्य में जातीय समीकरण साधने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। बीजेपी के निशाने पर आरजेडी से प्रभावित जातियों को अपनी तरफ मोड़ना है। 

साथ ही हर जाति में भाजपा की पैठ ज्यादा से ज्यादा बैठाना भी है। इसी रणनीति पर चलते बीजेपी ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा की तरह बिहार चुनाव में भी गैर-यादव ओबीसी और दलितों को संगठित करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

इसके लिए बीजेपी ने 243 विधानसभा क्षेत्रों में अलग-अलग जातियों के सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय भी लिया है। हाल के दिनों में गौर करें तो बीजेपी ने विभिन्न मौके पर जातीय जमावड़ा को अंजाम दिया है। हाल ही में भाजपा बुद्धू नोनिया के जन्म शताब्दी पर जाति का सम्मेलन किया था।

उधर, पटना से 400 किलोमीटर दूर सीमांत जिले के विधानसभा क्षेत्रों में विभिन्न दलों के लोग चुनावी तैयारी में जुट गए हैं, कोई प्रकट तौर पर तो गुपचुप तरीके से! 

किशनगंज में पटना से ज्यादा सिलीगुड़ी की बात

इन सबके बीच किशनगंज में महानंदा नदी फिलहाल शांत दिख रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का यह गृह इलाका है, जो काँग्रेस के ‘हाथ’ में है! 

यहां के स्थानीय लोग राजधानी पटना से अधिक पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी शहर की बात करते हैं। इलाज से लेकर मनोरंजन तक के लिए यहां के लोग सिलीगुड़ी पर निर्भर हैं!

यहां घूमते हुए अहसास हुआ कि राजनीति के प्रति उदासीन भाव लोगों में नहीं है। ग्राउंड की बतकही में काँग्रेस भी है और भाजपा भी। लेकिन कॉंग्रेस ज्यादा मुखर है। राहुल गांधी की बात लोग करते हैं।

किशनगंज जिला मुख्यालय की बात करें तो यहां के सांसद भी अपने बेटे को चुनावी राजनीति में उतारने की तैयारी में जुटे हैं। अंदरखाने में परिवार सर्वोपरि नजर आता है, बाद बांकी हर दल की तो यही कहानी है। यहां कांग्रेस से मोहम्मद जावेद सांसद हैं। कहा जा रहा है कि वे अपने बेटे को किसी न किसी विधानसभा सीट से उतारने की योजना बना रहे हैं। बेटा विदेश से पढ़कर आया है।

असल मुद्दों की किसे पड़ी है!

इन सब कहानियों के बीच जब दिल्ली में देश के गृह मंत्री पत्रकारों के संग भोजन-भात में जुटे थे, वहीं पटना में मुख्यमंत्री एक अँग्रेजी अखबार का पटना संस्करण लॉन्च कर रहे थे, ठीक उसी टाइम फ्रेम में सीमांत जिले के बहादुरगंज कस्बे से केवल 27 किलोमीटर दूर टेढ़ागाछ जाने में 3 घण्टे से ऊपर का समय लग रहा था! लेकिन इन सब बातों से सांसद और विधायकों को कोई लेना देना नहीं है। तो सवाल उठता है कि किसे है लेना-देना? तो जबाव है भावी प्रत्याशियों को! राजनीति सचमुच एक अलग ही खेल है।

बिहार के ग्राउंड जीरो की सच्चाई पॉलिटिकल स्टोरी से गायब होती जा रही है! बिहार के किशनगंज, ठाकुरगंज, बहादुरगंज, कोचाधामन,अमौर और बायसी विधानसभा क्षेत्रों में घूमते हुए, लोगों से बतियाते हुए अहसास हुआ कि ‘गूगल- डिजिटल पालिटिक्स ‘ और ग्राउंड जीरो पॉलिटिकल स्टोरी में जमीन आसमान का अन्तर है! 

इस इलाके की राजनीति साफ अलग है! नदियों से घिरे इस इलाके की राजनीति फ़िलहाल राहुल गांधी और ओवैसी के आसपास घूमती दिख रही है!

बिहार के सीमांत जिले में एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी की चर्चा खूब होती है। किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के सभी विधानसभा इलाकों में ओवैसी लोगों की जुबान पर दिख रहे हैं। हालांकि वे अपने विधायकों को संभाल कर नहीं रख सके। 2022 में उनके पांच में से चार विधायक लालू यादव के हो गए। 

फ़िलहाल उनके एक ही विधायक हैं अख्तरुल ईमान! वे सुर्खियों में बने रहते हैं। इस इलाके में इन दिनों एक और नेता चर्चा में हैं  – मास्टर मुजाहिद आलम। सीमांत का यह इलाका इन दिनों राजनीति का अलग ही पाठ पढ़ा रहा है। अपनी चुनावी बतकही इन्हीं इलाकों में अभी हो रही है!

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