Friday, October 10, 2025
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राज की बातः बक्सर- जहां शाम में डीजीपी भी बाहर निकलने से डरते थे, ट्रेनों के यात्री भी भयभीत रहते

पटनाः पिछले दिनों पटना के बड़े प्रसिद्ध अस्पताल में बहुत ही दर्दनाक घटना हुई, जो राज्य में अप्रत्याशित रहा। सुरक्षित समझे जाने वाले अस्पताल जहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी इलाज करवाते रहे हैं, के गहन चिकित्सा इकाई (ICU) के कमरे में एक इलाजरत रोगी को उसके कक्ष में घुसकर पांच अपराधी उसके बेड पर 30 गोलियां दागते हैं जिससे युवा रोगी बिछावन पर ही मर जाता है तथा पांच हथियार बंद अपराधी बहुत ही आराम से निकल जाते है। मरने वाला भी अपराधी था, बक्सर में एक व्यापारी की हत्या में अपराध साबित होने पर मृत्य पर्यन्त जेल की सजा भोग रहा था,एक सर्जरी के लिए पंद्रह दिन की पैरोल पर अस्पताल में इलाज करवा रहा था, 17 जुलाई को हत्या हुई, उसे 18 जुलाई को वापिस जेल  जाना था।

पुलिस की जांच से पता चला मारने वाला और मरने वालों दोनों ही बिहार के पश्चिम में बक्सर के रहने वाले थे। मारने वाला भी अभी हत्या के मामले में जेल में कैद है।

बक्सर एक ऐतिहासिक शहर है। 1764 में बक्सर के युद्ध में मीर कासिम की सेना को ईस्ट इंडिया कंपनी ने हराकर बिहार, उड़ीसा और बंगाल पर भी अपना कब्जा जमा लिया था, यहीं चौसा में आजादी की लड़ाई के दौरान ब्रिटिश पुलिस के अधिकारियों की हत्या और पुलिस थाना जलाए जाने की घटना के बाद महात्मा गांधी ने करो या मरो आंदोलन स्थगित किया था, विदेशी कपड़ा यहां के प्रसिद्ध किले पर जलाया गया।
बक्सर का और भी पुराना इतिहास है, बक्सर में ही स्वामी विश्वामित्र के आश्रम में राम और लक्ष्मण ने शिक्षा ग्रहण की, यहीं के वन में ताड़का का अंत किया। और, अब इसी बक्सर के कुछ लोग अपराध की दुनिया में रिकॉर्ड बना रहे हैं।

बक्सर में 90 के दशक और बाद में अपहरण एक उद्योग के रूप में उभरा। जब सवारी रेल गाड़ियां अब दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन के बाद बिहार के बक्सर स्टेशन से गुजरती, पैसेंजर्स असुरक्षित महसूस करते, हथियार के साथ अपराधी वातानुकूलित डब्बे में भी घुस कर लूट पात करते, विरोध करने पर मारे भी जाते थे। यहां डुमरांव में छोटे उद्योग जिसमें एक टेक्सटाइल मिल भी था इसी अवधि में बंद होने लगे थे।

उड़ीसा के एक रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक, अरुण कुमार उपाध्याय जो बक्सर के एक गांव के रहने वाले हैं, ने बोले भारत को अपना अनुभव सुनाया “अपहरण उद्योग के विकास होने पर ये छोटे उद्योग उसके सामने टिक नहीं सके। बिहिया में एक व्यक्ति धान की भूसी से तेल निकालने की मिल बैठाना चाहते थे। एक बार पटना से दिल्ली जाते समय मेरे पास की सीट पर बैठे। क्या करते हैं, यह पूछने पर कोई उत्तर नहीं दिया। मुगलसराय पार होने पर कहा कि तेल मिल लगाने की चेष्टा करते ही अपहरण की धमकी मिलने लगी। अतः हरियाणा या राजस्थान में मिल लगायेंगे। मुगलसराय से पहले बताने पर ट्रेन में ही अपहरण का खतरा था। धान बिहार में, उसकी भूसी राजस्थान जाती है जहां से उसका तेल पुनः बिहार आता है। अरुण जी जब पुलिस महानिदेशक थे तब की व्यथा बताई  “2008 में पत्नी सहित बक्सर गया तो स्टेशन पर ही शाम 6 बज गये। एक भी ऑटो या टैक्सी गोलम्बर (गंगा पुल तथा एसपी आवास के निकट) जाने पर तैयार नहीं हुआ क्योंकि सूर्यास्त के बाद लूट या अपहरण का खतरा था। जीआरपी अधिकारी से अनुरोध किया तो उन्होंने थाना की बेंच के साथ एक और बेंच लगा कर पत्नी के साथ वहां रात बिताने को कहा जिसके बाद वे मुझे घर पहुंचा देते।

बिहार के डीजीपी को मोबाइल से सम्पर्क किया कि बक्सर जिला में पुलिस किसलिए है? उन्होंने एसपी अमिताभ जैन से सम्पर्क किया तो एक पुलिस निरीक्षक मुझे आवास तक छोड़ आये। जिनका अतिथि था वे भी डरे कि 6 बजे के बाद केवल डकैत आ सकते हैं। पुलिस इंस्पेक्टर के कहने पर भी उनको लगा कि डकैत हैं। मेरी आवाज सुनकर विश्वास हुआ।

लौटने के दिन भी मुझे टैक्स देने के लिए चेक गेट पर रोका। पूछा कि किस चीज का टैक्स है, तो डांट पड़ी-लौकता (दिखता) नहीं है-पक्का गेट पर रंगदारी टैक्स लिखा है। मैंने कहा कि इस तरह का कोई टैक्स नहीं होता है, तो उन्होंने कहा कि 50 गज पर एसपी साहब का आवास है, वहां से पूछ लें। वह चेक गेट स्थानीय राजद विधायक ददन पहलवान एसपी के सहयोग से चला रहे थे। 

एसपी साहब कुछ समय बाद सारण के उपमहानिरीक्षक बने तो वहां शराब विक्रेताओं का 8 करोड़ रेट तय किया था। अखबारों में इसकी चर्चा होते ही उनको पुनः प्रोमोशन देकर मुख्यालय लाया गया।

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