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भोजपुरी साहित्य में विशेष योगदान देने वाले डॉ. अरूणेश नीरन का निधन, 80 की उम्र में ली अंतिम सांस

गोरखपुरः वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अरुणेश नीरन का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में मंगलवार रात अंतिम सांस ली। भोजपुरी साहित्य में उनका विशेष योगदान है।

उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। डॉ. अरुणेश मधुमेह की बीमारी से पीड़ित थे। बीते कुछ दिनों से वह काफी बीमार थे।

भोजपुरी सम्मेलन के संरक्षक

डॉ. अरुणेश विश्व भोजपुरी सम्मेलन के संरक्षक भी थे। उनका जन्म देवरिया में हुआ था। उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में अध्यापन कार्य किया।

इसके साथ ही वह गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबंधित बुद्ध पीजी कॉलेज कुशीनगर के प्राचार्य के पद पर भी रहे। 

भोजपुरी साहित्य में विपुल योगदान

समकालीन भोजपुरी साहित्य में उन्हें उनके विपुल काम के लिए जाना जाता है। अपने जीवनकाल में उन्होंने कई पुस्तकों का संपादन किया। उन्होंने हिंदी-भोजपुरी शब्दकोश का भी संपादन किया। देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनके लेख लगातार छपते रहे। 

वह भोजपुरी के मुखर समर्थक थे और विश्व स्तर पर भोजपुरी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने साल 1995 से 2004 तक विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय महासचिव रहे। इसके बाद साल 2004 से 2009 तक वह विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय महासचिव भी रहे। 

मॉरीशस में हुए विश्व भोजपुरी सम्मेलन में उन्हें एक बार फिर से विश्व भोजपुरी सम्मेलन का अंतर्राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया। इसके लिए 16 देशों के प्रतिनिधियों ने उनके नाम पर मुहर लगाई थी। 

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