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बेंगलुरु भगदड़ मामला: सीआरएफ ने राज्यपाल से की न्यायिक जांच तक कर्नाटक सरकार को निलंबित करने की मांग

बेंगलुरुः चिन्नास्वामी स्टेडियम में चार जून को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की जीत के जश्न के दौरान भगदड़ मच गई। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा कई लोग घायल भी हुए। इस घटना ने कर्नाटक में एक बड़ा राजनीतिक तूफान भी खड़ा कर दिया है। एक मानवाधिकार समूह ने गवर्नर थावरचंद गहलोत से घटना की न्यायिक जांच होने तक राज्य सरकार को निलंबित करने का आग्रह किया है। 

राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में, सिटिजन राइट्स फाउंडेशन (सीआरएफ) ने इस घटना के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को ‘सीधे तौर पर जिम्मेदार’ ठहराया है। सीआरएफ ने आरोप लगाया कि पुलिस और प्रमुख प्रशासनिक विभागों के विरोध के बावजूद इस कार्यक्रम को आगे बढ़ने दिया गया।

कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग (डीपीएआर) सीएम सिद्धारमैया के अधिकार क्षेत्र में आता है। सीआरएफ का कहना है कि सीएम सिद्धारमैया और डीसीएम शिवकुमार ने पुलिस द्वारा उठाई गई चिंताओं को दरकिनार किया गया और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) के अधिकारियों के साथ उनकी निकटता के कारण आरसीबी के प्रोग्राम को आगे बढ़ने दिया।

केएससीए ने कथित तौर पर आरसीबी फ्रेंचाइजी के साथ मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस हादसे के बाद, राज्य सरकार ने बेंगलुरु शहर के पुलिस कमिश्नर सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। सीआरएफ का आरोप है कि यह कदम आरोप को हटाने के अलावा स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच में रुकावट डालने की कोशिश के लिए उठाया गया है।

सरकार पर एक प्राइवेट स्पोर्ट्स फ्रेंचाइजी को बढ़ावा देने के लिए प्रशासनिक मशीनरी के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है। सीआरएफ का दावा है कि सरकार की निगरानी में केएससीए अधिकारियों ने अवैध रूप से टिकट बांटे और अवैध रूप से रेवेन्यू जुटाया।

राजभवन में प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले सीआरएफ अध्यक्ष केए पॉल ने कहा, “सत्ता के दुरुपयोग के कारण कानून और व्यवस्था ध्वस्त हो गई।”

सीआरएफ का दावा है कि यह कार्यक्रम एक निजी संस्था के लिए एक अनौपचारिक प्रचार कार्यक्रम था, जिसे सार्वजनिक संसाधनों की मदद से आयोजित किया गया। इसमें विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों को लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाले सरकारी गाड़ियां भी शामिल थीं।

 

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