लद्दाख प्रशासन ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि सोनम वांगचुक सहित किसी भी व्यक्ति को निशाना बनाए जाने के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। प्रशासन का कहना है कि वांगचुक के खिलाफ की गई कार्रवाई ठोस सूचनाओं और प्रमाणित दस्तावेजों पर आधारित है।
आधिकारिक बयान में कहा गया, “यह न तो किसी तरह की प्रताड़ना है और न ही कोई दिखावा। जांच एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदम विश्वसनीय इनपुट और दस्तावेज़ों के आधार पर हैं। इसलिए जांच को निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ने दिया जाए।”
प्रशासन ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (एचआईएएल) से जुड़ी जांच का उल्लेख किया, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं और विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन की बात सामने आई है। आरोप है कि एचआईएएल, मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय न होते हुए भी डिग्रियां बांट रहा था, जिससे छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ा। साथ ही, संस्थान ने अपने वित्तीय विवरणों में विदेशी धन का खुलासा भी नहीं किया।
बयान में यह भी कहा गया कि एसईसीएमओएल की एफसीआरए (FCRA) पंजीकरण रद्द करने का निर्णय कई उल्लंघनों के आधार पर लिया गया है। हालांकि प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि संगठन के पास अपील करने के कानूनी विकल्प खुले हैं।
प्रशासन ने सोनम वांगचुक को लेकर क्या कहा?
सोनम वांगचुक की हालिया भूख हड़ताल और सार्वजनिक बयानों पर भी प्रशासन ने कड़ी आपत्ति जताई। आरोप है कि उन्होंने नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश के संदर्भ देते हुए युवाओं को उकसाने की कोशिश की। प्रशासन के अनुसार, जून 2025 में उनके यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो में वांगचुक ने अरब स्प्रिंग जैसी क्रांति और आत्मदाह को आंदोलन का तरीका बताया था।
बयान में यह भी कहा गया कि अनशन आंदोलन के दौरान वांगचुक ने भीड़ को शांत करने के बजाय तनाव बढ़ने पर चुपचाप स्थल छोड़ दिया। प्रशासन ने इसे “गैर-जिम्मेदाराना और राजनीतिक रूप से प्रेरित कदम” करार दिया। प्रशासन ने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही लद्दाख नेताओं के साथ बैठक की तारीख तय कर चुकी थी और लचीला रुख भी दिखाया था, इसके बावजूद वांगचुक ने भूख हड़ताल जारी रखी।
बयान में यह भी जोड़ा गया कि 11 सितंबर 2025 को NDS पार्क में दिए एक साक्षात्कार में वांगचुक ने कहा था कि युवा अब गांधीजी के रास्ते को ज़रूरी नहीं मानते और अगर हालात बिगड़े तो इसका सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, 9 सितंबर को अनशन शुरू करने से पहले उन्होंने लोगों से मास्क, कैप और हुडी पहनने की अपील की, जिसे उन्होंने कोविड के नाम पर उचित ठहराया, जबकि लद्दाख में कोविड का कोई खतरा नहीं था।
24 सितंबर को लेह में हिंसक प्रदर्शन के दौरान चार लोगों की मौत और कई घायल होने के बाद सोनम वांगचुक को एनएसए के तहत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेज दिया गया। वहीं, लेह के साथ कारगिल जिले में भी बंद का ऐलान किया गया। लेह में कर्फ्यू अब भी जारी है।
मांगों को लेकर लेह और कारगिल एकजुट
उधर, सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लद्दाख में राज्य का दर्जा और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर आंदोलन और तेज हो गया है। बेरोजगारी और स्थानीय अधिकारों की चिंता ने लेह और कारगिल के बौद्ध और मुस्लिम समुदायों को एकजुट कर दिया है। लेह के युवाओं का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से सरकारी नौकरियां निकली ही नहीं और अगर बाहरी लोगों को अवसर मिले तो बेरोजगारी और बढ़ेगी।
गौरतलब है कि अतीत में कारगिल और लेह के बीच धार्मिक और विकास संबंधी मतभेद रहे हैं, लेकिन इस बार राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग ने दोनों जिलों को साथ ला दिया है। 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनने पर लद्दाख में जश्न था, लेकिन विधानसभा न होने और स्थानीय अधिकारों की अनदेखी से असंतोष गहराता गया।
लेह एपेक्स बॉडी का कहना है कि छठी अनुसूची लागू होने से ब्यूरोक्रेटिक राज खत्म होगा, हालांकि हाल ही में उन्होंने केंद्र से बातचीत भी तोड़ दी है। लेह में हुए हिंसक विरोध में बीजेपी दफ्तर और सरकारी इमारतों को नुकसान पहुंचा, जिसके बाद कर्फ्यू लगाना पड़ा। रिपोर्टों की मानें तो पर्यटन व्यापारियों को इससे रोजाना हजारों का नुकसान हो रहा है।