क्वेटा: प्रमुख बलूच कार्यकर्ता महरंग बलूच ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर क्वेटा में ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों’ पर गोलीबारी करने का आरोप लगाया है। आरोपों के अनुसार इसमें कई लोग घायल हो गए हैं और एक व्यक्ति की मौत हो गई। महरंग बलूच ने एक्स पर इस संबंध में एक पोस्ट भी किया है और घटना की निंदा की है।
एक्स पर लिखे एक पोस्ट में महरंग बलूच ने कहा, ‘क्वेटा में पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें कई लोग घायल हो गए और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। बलूचिस्तान में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर राज्य इसी तरह प्रतिक्रिया करता है।’
महरंग बलूच ने कई और पोस्ट इस घटना के संबंध में किए हैं। एक पोस्ट में उन्होंने बताया कि मृतक की उम्र 12 साल है। इस वीडियो में एक शख्स स्थानीय भाषा में कुछ कहता नजर आ रहा है। पोस्ट में बताया गया कि यह मृतक का रिश्तेदार है।
آج ریاستی پولیس کی فائرنگ سے شہید ہونے والے 12 سالہ نعمت اللہ کی کزن آج صورتحال کے حوالے سے گفتگو کررہا ہے۔
“میرے کمسن کزن غریب مزدور ہے، یہاں مزدور کے غرض سے آیا تھا جسے آج کوئٹہ پولیس نے فائرنگ کرکے قتل کیا ہے، ہم غریب ہیں، ہمادے دل سے ان کے لئے بددعائیں نکل رہی ہے، ہم بلوچوں… pic.twitter.com/eYCgzN61fL
— Mahrang Baloch (@MahrangBaloch_) March 21, 2025
महरंग बलूच को गिरफ्तार किया गया
फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार बाद में महरंग को शनिवार सुबह क्वेटा पुलिस ने उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह बलूच समुदाय के खिलाफ अत्याचारों को लेकर धरना प्रदर्शन में भाग ले रही थी। बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) ने एक्स पर उनकी गिरफ्तारी का विवरण साझा किया है और कहा कि प्रदर्शन स्थल पर मारे गए युवकों के शवों को भी स्थानीय प्रशासन द्वारा कब्जे में ले लिया गया है।
पोस्ट में कहा गया है, ‘क्वेटा पुलिस और प्रशासन ने बीवाईसी (बलूच यूनिटी कमेटी) की नेता डॉ. महरंग बलूच को उनके अन्य सहयोगियों के साथ गिरफ्तार कर लिया है और शहीद युवकों के शवों को भी अपने कब्जे में ले लिया है।’
UNHRC में बलूचिस्तान संकट पर चर्चा
जिनेवा में 58वें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) सत्र में भी हाल में बलूचिस्तान संकट पर चर्चा की गई। बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के नेता नियाज बलूच ने मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति के बारे में इसमें बात की।
उन्होंने आरोप लगाया कि बलूच छात्र संगठन-आजाद (बीएसओ-ए) और बीएनएम जैसे राजनीतिक समूहों को कठोर दमन का सामना करना पड़ रहा है। सदस्यों को हिरासत में लिया जा रहा है, परेशान किया जा रहा है और जबरन चुप करा दिया जा रहा है।