बलिया: बलिया के भाजपा किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष अशोक सिंह (55) और उनके साथी विकास कुमार (44) की राजस्थान में हत्या कर दी गई है। ठगों ने उन्हें सस्ते में जनरेटर देने का झांसा देकर बुलाया, फिर रुपए लूटकर उनकी हत्या कर दी और शवों को अलग-अलग कुओं में फेंक दिया। यह पूरा मामला ऑनलाइन धोखाधड़ी से जुड़ा है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, अघैला गांव के रहने वाले अशोक सिंह ने 16 सितंबर को जनरेटर खरीदने के लिए ऑनलाइन डील की थी। ठगों ने 9 लाख रुपये का जनरेटर केवल 3.5 लाख रुपये में देने का झांसा दिया था। इस सौदे के लिए अशोक अपने साथी और मैकेनिक विकास के साथ 18 सितंबर को बलिया से जयपुर के लिए रवाना हुए। लेकिन 19 सितंबर को दोनों के मोबाइल बंद हो गए और परिवार का उनसे संपर्क टूट गया।
कैसे पता चला?
दरअसल अशोक सिंह के छोटे भाई, जो खुद एक आईआरएस अधिकारी हैं ने उन्हें फोन किया तो मोबाइल बंद मिला। इसके बाद उन्होंने 21 सितंबर को दिल्ली में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। मामला हाई-प्रोफाइल होने के कारण पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और मोबाइल लोकेशन ट्रेस की। लगातार लोकेशन शाहजहांपुर में मिलने पर बलिया पुलिस ने राजस्थान पुलिस से संपर्क किया और दोनों टीमों ने मिलकर जांच शुरू की।
मंगलवार शाम को, पुलिस को एक कुएं से तेज बदबू आने की सूचना मिली, जहाँ से अशोक सिंह का शव बरामद हुआ। इसके बाद एक किलोमीटर की दूरी पर एक और कुएं से विकास का शव भी मिला। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया है और साइबर सेल की मदद से ठगी करने वाले गिरोह की पहचान और गिरफ्तारी की कोशिश में जुटी है।
परिवार पर दुखों का टूटा पहाड़
बता दें कि अशोक सिंह के परिवार में उनकी पत्नी सीमा, बेटा असीम और बेटी आयुषी हैं, जो पढ़ाई के लिए प्रयागराज में रहते हैं। उनके छह भाइयों में से दो, निर्भय नारायण सिंह (आईआरएस) और संजय सिंह (सेल टैक्स कमिश्नर), सरकारी अधिकारी हैं। परिवार के सदस्यों ने अशोक को एक मिलनसार और मददगार इंसान बताया।
वहीं, दूसरे मृतक विकास बलिया के ददन नगर के रहने वाले थे और अशोक की एजेंसी में मैकेनिक का काम करते थे। जनरेटर की जांच के लिए ही वह अशोक के साथ गए थे। विकास अपने पीछे पत्नी पूजा और दो बेटियों मीठी (12) और शिवानी (7) को छोड़ गए हैं।
अशोक सिंह का अंतिम संस्कार लखनऊ में गोमती नदी के किनारे किया गया, जबकि विकास का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बलिया में होगा।