उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भेड़ियों के लगातार हो रहे हमलों के बाद वन विभाग ने रविवार को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया है। पिछले दो महीनों में इन हमलों में चार बच्चों सहित छह लोगों की मौत हो चुकी है। यह आदेश रविवार को हुए नए हमलों के बाद आया है जिसमें तीन ग्रामीण घायल हो हुए हैं।
रविवार को रामगंज क्षेत्र के टेडिया कोटिया गांव में दो और बहोरवा नौबस्ता में एक ग्रामीण पर हमला हुआ, जिसमें तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। ग्रामीणों ने मौके पर घेराबंदी कर हमलावर जानवर को मार गिराया। जांच के बाद वन अधिकारी राम सिंह यादव ने बताया कि मारा गया जानवर भेड़िया नहीं, बल्कि सियार (जैकल) था।
उन्होंने कहा, “हमने मौके पर जाकर जांच की। यह पाया गया कि हमला करने वाला जानवर सियार था, हालांकि कई हमलों में भेड़ियों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।”
लगातार हमलों से भय का माहौल
वन विभाग के अनुसार, कैसरगंज और महसी क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। पिछले दो महीनों में भेड़ियों के हमलों में छह लोगों की मौत हुई है और 18 लोग घायल हुए हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सुशीला (21) नामक महिला पर तब हमला हुआ जब वह घर के बाहर काम कर रही थी। झाड़ियों में छिपे जानवर ने अचानक झपट्टा मारा। उसकी चीख सुनकर ग्रामीण दौड़े, इसी अफरातफरी में जानवर ने राम कुमार (40) के घर में घुसकर उन पर भी हमला कर दिया। दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनकी हालत फिलहाल स्थिर है।
ऐसे ही बहोरवा नौबस्ता गांव में बरसाती लाल शुक्ल (62) अपने खेत में काम कर रहे थे, तभी भेड़िए ने उन पर हमला किया। उन्होंने दरांती से पलटवार कर किसी तरह खुद को बचाया, लेकिन उनके पैर में गहरी चोट आई है।
बहोरवा गांव में ही 16 सितंबर भेड़िए ने एक तीन महीने की बच्ची संध्या को अपना शिकार बनाया। संध्या को जंगली जानवर उसकी माँ के पास से उठा ले गया। बच्ची का शव अगले दिन सुबह गन्ने के खेत में मिला।
बच्ची के पिता दिनेश ने बताया, वह भेड़िया जैसा दिखाई दे रहा था। मेरी पत्नी ने शोर मचाया, लेकिन बच्ची को बचाने में देर हो गई।
एक अन्य ग्रामीण शोभित ने बताया कि गांव में डर का माहौल है। लोग अब घरों के बाहर नहीं सोते, सब छतों पर रात गुजार रहे हैं। वहीं ग्रामीण कुलदीप ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी आते हैं, घूमते हैं और वापस चले जाते हैं, कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
इस बीच 27 सितंबर तक हालात और गंभीर हो गए। मझारा तौकली इलाके के करीब एक दर्जन गांव- बभनन पुरवा, भिरगू पुरवा, बाबा पटाव, देवनाथ पुरवा और गांधीगंज- भेड़ियों के आतंक की चपेट में हैं। इन गांवों में महिलाएं रातभर फरसा, लाठी और डंडा लेकर पहरा दे रही हैं, ताकि अपने बच्चों को बचा सकें। स्थानीय महिला मीना देवी ने बताया, “तीन दिन पहले हमारे बच्चों पर हमला हुआ था। लाठियों से उन्हें बचाया गया, नहीं तो जानवर उठा ले जाता।”
वन अधिकारियों ने क्या कहा?
वन संरक्षक डॉ. सम्मारन ने बताया कि इलाके में 12 टीमें बनाई गई हैं और ड्रोन से निगरानी की जा रही है। पिंजरे लगाकर भेड़िए को पकड़ने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है।
वन अधिकारी राम सिंह यादव ने बताया, “गांवों में बार-बार हो रहे हमलों को देखते हुए राज्य सरकार ने हमारी टीमों को सख्त कार्रवाई की अनुमति दी है। ऐसे किसी भी आक्रामक भेड़िए को, जो मानव जीवन के लिए खतरा बनता है, तुरंत मार गिराया जाएगा।”
उन्होंने कहा, यह कदम अंतिम उपाय के रूप में उठाया गया है और सिर्फ उन्हीं जानवरों पर कार्रवाई होगी जो आक्रामक व्यवहार दिखा रहे हैं, जबकि जंगल के अन्य सामान्य वन्यजीव पूरी तरह संरक्षित रहेंगे।
राज्य के सहकारिता मंत्री अरुण कुमार ने कैसरगंज क्षेत्र का दौरा किया और जिलाधिकारी अक्षय त्रिपाठी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने हमलों में मारे गए और घायल परिवारों से मुलाकात कर सरकारी सहायता देने का आश्वासन दिया।
अधिकारियों ने बताया कि वन विभाग और स्थानीय प्रशासन की टीमें गांवों में गश्त और जागरूकता अभियान चला रही हैं ताकि ग्रामीण सुरक्षित रहें और अफवाहें न फैलें।