Friday, October 10, 2025
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आजमगढ़ पुलिस ने साइबर ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठित गैंग का पर्दाफाश किया, 11 आरोपी गिरफ्तार

आजमगढ़ः आजमगढ़ पुलिस ने 190 करोड़ की साइबर ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठित गैंग का पर्दाफाश करते हुए 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में कुल 169 बैंक खातों में करीब 2 करोड़ रुपए फ्रीज किए गए हैं। पुलिस का कहना है कि अन्य ट्रांजेक्शन का भी पता लगाया जाएगा। मामले की जांच की जा रही है।

एसपी हेमराज मीणा ने पुलिस लाइन सभागार में मंगलवार को बताया कि आजमगढ़ जिले में स्वाट टीम और साइबर टीम के संयुक्त ऑपरेशन में जिले में चल रहे ऑनलाइन जुआ गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। यह आरोपी सरकार द्वारा प्रतिबंधित ऑनलाइन बेटिंग ऐप रेड्डी, अन्ना, लोटस और महादेव ऐप के जरिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, मेटा व टेलीग्राम पर विज्ञापन के माध्यम से लोगों को फंसाते थे।

आरोपी लोगों से ठगी के लिए अपनाते थे ये तरीके

आरोपी पैसों को दो गुना, तीन गुना जीतने का प्रलोभन देकर इन गेम्स में पीड़ितों की ऑनलाइन आईडी बनाकर साइबर ठगी कर सारा पैसा मोबाइल के जरिए फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेते थे और पीड़ितों की आईडी ब्लॉक कर देते थे। आरोपियों ने जिले में कोतवाली क्षेत्र में ऑनलाइन क्लास के नाम पर एक घर किराये पर लिया था। यहां पर आरोपियों ने कॉल सेंटर खोल रखा था।

190 करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी का आरोप

आरोपियों पर 190 करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी का आरोप है। आरोपियों के 169 बैंक खातों को फ्रीज किया गया है जिनमें लगभग दो करोड़ रुपये हैं। एसपी ने आगे बताया कि 35 लाख रुपये की कीमत का सामान बरामद हुआ है। जिसमें इनके पास से 3 लाख 40 हजार रुपये नगद, 51 मोबाइल, 6 लैपटॉप, 61 एटीएम कार्ड, 56 बैंक पासबुक, 19 सिम कार्ड, 7 चेक बुक, 3 आधार कार्ड, 1 जियो फाइबर राउटर मिला है।

उन्होंने आगे बताया कि इस संगठित गैंग में भारत और अन्य देश जैसे- श्रीलंका, यूएई के मेंबर विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े हुए थे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में उत्तर प्रदेश के 6, बिहार के 2, ओडिशा के 2, मध्य प्रदेश का एक व्यक्ति शामिल है।

इनके खिलाफ कुल 71 साइबर ठगी के मामले दर्ज हैं। आरोपी लोकेशन पकड़ी न जाए इसके लिए यह हर कवायद करते थे। यहां तक कि जिस सिम से व्हाट्सएप ग्रुप क्रिएट करते थे, उस सिम को तुरंत तोड़ भी देते थे। लेकिन व्हाट्सएप चलाते रहते थे। इससे लोकेशन ट्रैक नहीं होता था।

(यह कहानी आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।)

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