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Ayurveda Day: अब धनतेरस नहीं, हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा आयुर्वेद दिवस

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 23 सितंबर को प्रत्येक वर्ष आयुर्वेद दिवस मनाने का फैसला किया है। आयुर्वेद को एक वैज्ञानिक साक्ष्य-आधारित और समग्र चिकित्सा प्रणाली के रूप में बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद दिवस हर साल मनाया जाता रहा है, लेकिन इसकी तारीख निश्चित नहीं थी। 

आयुर्वेद निवारक स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अब तक आयुर्वेद दिवस धनतेरस के दिन मनाया जाता था। हिंदू कैलेंडर पर आधारित होने के कारण आयुर्वेद अंग्रेजी कैलेंडर पर इसकी तारीख हर साल बदलती रहती थी।

आयुष मंत्रालय ने यह भी उल्लेख किया कि अगले दशक में धनतेरस की तारीख 15 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच व्यापक रूप से बदलती रहेगी, जिससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजनों को करने में तार्किक चुनौतियां उत्पन्न होंगी।

इस असंगति को दूर करने और राष्ट्रीय तथा वैश्विक उत्सवों के लिए एक स्थिर संदर्भ बिंदु स्थापित करने के लिए आयुष मंत्रालय ने उपयुक्त विकल्पों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया। विशेषज्ञ पैनल ने चार संभावित तारीखों का प्रस्ताव रखा, जिसमें 23 सितंबर की तारीख सर्वश्रेष्ठ विकल्प के रूप में सामने आई। यह निर्णय व्यावहारिक और प्रतीकात्मक दोनों विचारों पर आधारित था।

क्यों 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस मनाने का हुआ फैसला?

नई तारीख 23 सितंबर, शरद विषुव के साथ मेल खाती है, जब दिन और रात लगभग बराबर होते हैं। यह खगोलीय घटना प्रकृति में संतुलन का प्रतीक है, जो आयुर्वेद दर्शन के साथ पूर्ण रूप से मेल खाती है, जो मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन पर जोर देती है।

आयुष मंत्रालय व्यक्तियों, स्वास्थ्य पेशेवरों, शैक्षणिक निकायों और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों से आग्रह करता है कि वे नवनिर्धारित तारीख को अपनाएं और प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को आयुर्वेद दिवस समारोह में सक्रिय रूप से भाग लें।

मंत्रालय इस बदलाव को आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य नैरेटिव में और अधिक समाहित करने तथा इसके निवारक और स्थाई स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के रूप में कालातीत मूल्य को बढ़ावा देने के अवसर के रूप में देखता है।

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