Thursday, October 9, 2025
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विरासतनामा: ऑरोविल- लाल माटी वाला आदर्शलोक

आज, ऑरोविल में 60 विभिन्न देशों के 3,300 निवासी रहते हैं। मूलरूप से इसके मास्टर प्लान में 50,000 निवासियों की रिहाइश का प्रावधान है। अपने विरोधाभासों और परिवर्तनों के बावजूद ऑरोविल एक ऐसा अनूठा प्रयोग रहा है जो आदर्शों और हकीकत के बीच एक पुल बनाने का प्रयास करता है।

ऑरोविल एक ऐसा विशिष्ट शहर है जो दक्षिण भारत के विलुप्पुरम जिले (तमिलनाडु राज्य) में बसाया गया है (कुछ हिस्से पुडुचेरी राज्य में हैं)। सन 1964 में पुडुचेरी के श्री अरबिंदो आश्रम में, ऑरोविल के विचार ने जन्म लिया। ऑरोविल का विचार प्रसिद्ध भारतीय आध्यात्मिक चिंतक, श्री अरबिंदो की दृष्टि और कार्य से प्रेरित था। ऑरोविल शहर को इसका नाम भी श्री अरबिंदो के नाम से ही मिला। उनकी आध्यात्मिक सहयोगी, एक फ्रांसीसी महिला मीरा अल्फासा (1878-1973) ने 1968 में इस बस्ती की स्थापना की और इसका चार्टर बनाया। उन्होंने ऑरोविल के लिए “गैलेक्सी योजना” (मास्टर प्लान) की भी कल्पना की और रॉजर एंगर, जो एक फ्रांसीसी वास्तुकार थे, उन्हें व्यक्तिगत रूप से ऑरोविल के मुख्य वास्तुकार के रूप में चुना गया।

उस समय, ऑरोविल एक बंजर पठार था जो हवाओं और चक्रवातों से घिरा रहता था। पानी या बिजली के बिना, ऐसी संसाधन-विहीन भूमि पर कोई रहना नहीं चाहता था। लगभग 50 अग्रदूतों का पहला काम इस स्वप्निल शहर को वास्तविकता में बदलना था और उन्होंने इस बंजर भूमि को एक रहने योग्य स्वर्ग में बदलने के लिए कड़ी मेहनत की।

ऑरोविल एक सार्वभौमिक, प्रायोगिक बस्ती के रूप में प्रसिद्ध है, जो मानव एकता को समर्पित है, जिसका उद्देश्य सभी धर्मों और राष्ट्रीयताओं से ऊपर उठकर मानवीय सामंजस्य स्थापित करना है। यह एक मान्यता प्राप्त यूनेस्को (UNESCO) परियोजना है जो अपने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और प्रतिष्ठित सुनहरे गुंबद वाले ध्यान केंद्र “मातृमंदिर”, के लिए दुनिया भर में जानी जाती है। यह शहर चेतना के विकास और अतीत व भविष्य के बीच एक सेतु के तौर पर किए गए सामूहिक मानव प्रयास का एक अनूठा उदाहरण है।

स्वामित्व अधिकार

आज, ऑरोविल में 60 विभिन्न देशों के 3,300 निवासी रहते हैं। मूलरूप से इसके मास्टर प्लान में 50,000 निवासियों की रिहाइश का प्रावधान है। ऑरोविल किसी व्यक्ति या समूह का नहीं, बल्कि पूरी मानवता की मिल्कियत है। हालांकि, इसका प्रबंधन और प्रशासन “ऑरोविल फाउंडेशन” द्वारा किया जाता है, जो भारत सरकार द्वारा शिक्षा मंत्रालय के तहत नियुक्त एक निकाय है, और यह “ऑरोविल फाउंडेशन अधिनियम, 1988” के अनुसार संचालित होता है। ऑरोविल के भीतर की सभी भूमि और संपत्ति “सामूहिक रूप से स्वामित्व” में हैं, जो अपने आप में एक अनूठा प्रयास है जिसे हम कम्युनिस्ट देशों में कम्यून के रूप में ही सुनते आए हैं। निवासी सामूहिक रूप से कई तरह की गतिविधियों में संलग्न रहते हैं, जिनमें वनीकरण, जैविक कृषि, शैक्षिक अनुसंधान, स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण विकास, उपयुक्त तकनीक, और भवन निर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी, छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसाय, नगर नियोजन, जल स्तर प्रबंधन, सांस्कृतिक गतिविधियां और सामुदायिक सेवाएं शामिल हैं।

आप ऑरोविल में एक अतिथि या स्वयंसेवक के रूप में रह सकते हैं या एक स्थायी निवासी बनने के लिए आवेदन करके रह सकते हैं। अतिथि या स्वयंसेवक के रूप में रहना कम समय के लिए होता है, जबकि निवासी बनना उन लोगों के लिए एक प्रक्रिया है जो समुदाय में लंबे समय तक रहना और बसना चाहते हैं।

ऑरोविल की अर्थव्यवस्था

ऑरोविल की अपनी कोई औपचारिक मुद्रा नहीं है लेकिन यहां लेन-देन के लिए एक अद्वितीय “ऑरोविल यूनिट” (AU) या “ऑरो कार्ड” प्रणाली काम करती है, जो समुदाय की आर्थिक संरचना का हिस्सा है। अर्थव्यवस्था अदल-बदल की प्रणाली और सेवाओं के आदान-प्रदान पर बहुत अधिक निर्भर करती है, जिसमें निवासी सामुदायिक परियोजनाओं के लिए समय का योगदान करते हैं। निवासियों को पारंपरिक वेतन के बजाय, समुदाय के लिए प्रतिदिन कम से कम पाँच घंटे काम करने के बदले सेवाओं, नकद और अधिकारों का एक मूल रखरखाव भत्ता मिलता है।

सामुदायिक खर्चों को व्यावसायिक इकाइयों के मुनाफे, दुनिया भर के ऑरोविल इंटरनेशनल केंद्रों से दान, गेस्टहाउस से आय, आगंतुकों से नकद दान, और शुभचिंतकों व निवासियों के परिवारों के योगदान से पूरा किया जाता है।

ऑरोविल की वास्तुकला

ऑरोविल इसके संस्थापकों, मीरा अल्फासा (द मदर) और श्री अरबिंदो की आध्यात्मिक और मानवीय दृष्टि को दर्शाती है। ऑरोविल की वास्तुकला बाँस, ईंट और मिट्टी से बनी इमारतों जैसे प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों के उपयोग के लिए जानी जाती है, जो स्थिरता और प्रकृति के साथ सामंजस्य पर ध्यान केंद्रित करती है। इसका उदाहरण वास्तुकार रॉजर एंगर द्वारा तैयार किया गया इसका अद्वितीय “गैलेक्सी-आकार का मास्टरप्लान” है। बस्ती में अलग अलग इमारतों के लिए डिज़ाइन मेहराबों, गुंबदों और गुंबदनुमा छतों के साथ-साथ नई नई निर्माण तकनीकों पर जोर देता है, ताकि ऐसी संरचनाएँ बनाई जा सकें जो अपने पर्यावरण के साथ रल-मिल जाएं और मानव एकता और ऑरोविल के आदर्शों का सहज ही पालन करें।

ऑरोविल में कई अद्वितीय भवन निर्माण तकनीकों का विकास किया गया है और यह वास्तुकला के छात्रों के लिए ऑरोविल में एक प्रमुख आकर्षण रहा है। मिट्टी की वास्तुकला का प्रशिक्षण, धातु निर्माण, बढ़ईगीरी का काम, फर्नीचर बनाना और बांस निर्माण कार्यशाला प्रमुख विशेषताएँ हैं जो दुनिया भर से वास्तुकला के इच्छुक लोगों को ऑरोविल की ओर आकर्षित करती हैं।

ऑरोविल में भोजन

“द सोलर किचन”, ऑरोविल में भोजन के लिए सबसे लोकप्रिय भोजनालय है जो साधारण शाकाहारी भोजन तैयार करता है जिसे भोजन कक्ष में खाया जाता है। यह एक सामुदायिक रसोई है जहाँ ऑरो कार्ड से भुगतान कर सोलर चूल्हों में बना ऑर्गेनिक (जैविक) भोजन खाया जा सकता है। ऑरोविल में उपभोग किए जाने वाले भोजन का 15% ऑरोविल की कृषि योग्य भूमि में ही उगाया जाता है। ऑरोविल में दो दर्जन से अधिक अलग अलग आकार और चरित्र के खेत हैं।

जो किसान मुख्य रूप से ऑरोविल का भोजन उगाने में लगे हैं, वे “ऑरोविल फार्म ग्रुप” के तहत एकजुट हैं, जो बागों, फसल के खेतों, सब्जी के बगीचों और डेयरी के साथ काम करता है। यहां कई अन्य कैफे, रेस्तरां और बेकरी भी हैं जो निवासियों और आगंतुकों के लिए विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसते हैं।

ऑरोविल में सांस्कृतिक जीवन

“भारत निवास” इमारतों का एक समूह है जो ऑरोविल का सांस्कृतिक केंद्र है – एक जीवंत और सांस लेने की जगह जहाँ कला, दर्शन और विरासत का संगम होता है। “श्री अरबिंदो ऑडिटोरियम” प्रदर्शनों, वार्ताओं और कार्यक्रमों की मेजबानी करता है, जबकि “कला केंद्र” एक गैलरी है जो समकालीन कला से लेकर पारंपरिक शिल्पों तक सब कुछ प्रदर्शित करती है। यहाँ अनुसंधान केंद्र, पुस्तकालय और शांत, पेड़ों से घिरे कोने भी हैं जो पढ़ने लिखने और सोचने विचारने के लिए माकूल ठिकाना हैं।

ऑरोविल में सांस्कृतिक गतिविधियों में “आदिशक्ति थिएटर” और “एसवीआरआरएएम” जैसे केंद्रों में विविध कलात्मक और सांस्कृतिक प्रदर्शनों में भाग लेना, हस्तशिल्प, वाद्ययंत्र और मिट्टी के बर्तन बनाने की कार्यशालाओं में भाग लेना, पिटांगा योग, आइकीडो और शास्त्रीय नृत्य कक्षा, सावित्री भवन जैसे आध्यात्मिक और शैक्षिक केंद्रों का दौरा करना, और साउंड गार्डन में अद्वितीय ध्वनियों का अनुभव करना शामिल है। आगंतुक बुटीक में स्थानीय संस्कृति और शिल्प भी देख सकते हैं और बोटेनिकल गार्डन में प्रकृति को और करीब से अनुभव कर सकते हैं।

यूटोपिया में विवाद

ऑरोविल की शांत फ़िज़ा में पिछले कुछ अरसे से हो रहा संघर्ष “क्राउन रोड” के निर्माण के इर्द-गिर्द घूमता है, जो मातृमंदिर के चारों ओर एक गोलाकार सड़क है जो मास्टरप्लान में चार क्षेत्रों को जोड़ेगी। दिसंबर 2021 में, निवासियों ने सड़क के लिए वन क्षेत्रों को बुलडोज़ करने का विरोध किया, जिसपर NGT द्वारा अस्थायी रोक लगा दी गई। बाद में, सर्वोच्च न्यायालय ने NGT के आदेशों को रद्द कर दिया, यह फैसला सुनाते हुए कि विकास का अधिकार, पर्यावरण संरक्षण जितना ही महत्वपूर्ण है।

मातृमंदिर के उद्यान वास्तुकार रॉजर एंगर के गैलेक्सी योजना का हिस्सा हैं और उनमें से प्रत्येक को ‘द मदर’ द्वारा एक आध्यात्मिक थीम दी गई थी। हालांकि, एंगर के डिजाइनों, और बाद में अन्य रचनात्मक लोगों द्वारा दिए गए प्रस्तावों को, समुदाय में इस बात पर असहमति के कारण लागू नहीं किया गया था कि ये डिजाइन भौतिक रूप से ‘द मदर’ की अवधारणाओं को संतोषजनक ढंग से लागू नहीं कर पा रहे थे।

ऑरोविल शहर में भूमि अतिक्रमण, नशीली दवाओं के दुरुपयोग, नशीली दवाओं की तस्करी और अन्य कई अपराधों के आरोप सामने आने के बाद भी उथल-पुथल मची हुई है, जिससे इस स्वप्निल शहर की अवधारणा पर सवालिया निशान जड़ जाता है।

उम्मीद पर दुनिया कायम है

लेकिन अपने विरोधाभासों और परिवर्तनों के बावजूद ऑरोविल एक ऐसा अनूठा प्रयोग रहा है जो आदर्शों और हकीकत के बीच एक पुल बनाने का प्रयास करता है। यह एक ऐसा शहर है जो आज भी अपनी चुनौतियों का सामना करते हुए भविष्य की ओर बढ़ रहा है। अपनी स्थापना के पीछे के महान दर्शन और निरंतर विकास की प्रक्रिया के साथ, ऑरोविल मानवता के लिए एक ऐसे भविष्य की कल्पना करता है जहां हर व्यक्ति सद्भाव और चेतना के उच्च स्तर पर जीवन जी सके।

ऐश्वर्या ठाकुर
ऐश्वर्या ठाकुर
आर्किटेक्ट और लेखक; वास्तुकला, धरोहर और संस्कृति के विषय पर लिखना-बोलना।
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