दिसपुरः असम की सिविल सेवा अधिकारी नुपुर बोरा के घर से 92 लाख रुपये कैश और सोना बरामद हुआ है। मुख्यमंत्री की विशेष सतर्कता प्रकोष्ठ द्वारा इसे जब्त किए जाने की घोषणा के बाद सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि वह हिंदुओं से मुसलमानों को भूमि हस्तांतरित की सुविधा के लिए जांच के दायरे में थीं। उन्होंने कहा कि इसके जरिए वह कथित तौर पर धन उगाही कर रही थी जबकि सरकार ने ऐसी गतिविधियों पर रोक लगा रखी है।
इस मामले में सोमवार, 15 सितंबर को सतर्कता प्रकोष्ठ ने नुपुर बोरा से कथित रूप से जुड़े चार ठिकानों पर छापे मारे। इसमें गुवाहाटी में उनके आवास और बारपेट में उनका किराए का घर भी शामिल है।
सतर्कता प्रकोष्ठ की पुलिस अधीक्षक रोजी कलिता के मुताबिक, उनके गुवाहाटी और बारपेटा निवास स्थान से 92 लाख रुपये से अधिक कैश के साथ गोल्ड ज्वैलरी भी बरामद की गई है। उन्होंने बताया कि अधिकारी नुपुर बोरा को हिरासत में लिया गया है।
नुपुर बोरा कौन हैं?
36 वर्षीय नुपुर बोरा मूलरूप से असम के गोलाघाट जिले की रहने वाली हैं। वह 2019 बैच की अधिकारी हैं। जनवरी 2019 में उनकी नियुक्ति के बाद उन्हें कार्बी आंगलोंग जिले में सहायक आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया। जून 2023 में नुपुर बोरा का तबादला बारपेटा जिले में सर्किल ऑफिसर के पद पर हुआ। फिलहाल वह कामरूप जिले के गोरोइमारी में सर्किल अधिकारी के पद पर तैनात हैं।
नुपुर बोरा से जुड़ी संपत्तियों में छापेमारी के बाद मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि वह सरकार के जांच के दायरे में थीं क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बारपेटा में भूमि हस्तांतरण किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम बहुल जिला बारपेटा में सर्किल ऑफिसर रहने के दौरान यह काम किया।
उन्होंने आरोप लगाया “असम में अल्पसंख्यक बहुल राजस्व मंडलों में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। हम पिछले छह महीनों से इस अधिकारी को हिंदुओं की जमीन संदिग्ध लोगों को हस्तांतरित करने के लिए जांच कर रहे थे। हम पिछले छह महीनों से उनकी कार्यप्रणाली पर नजर रख रहे हैं। जब वह बारपेटा में सर्किल ऑफिसर थीं तो वह पैसे लेकर हिंदुओं की जमीन मुसलमानों को हस्तांतरित कर रही थीं और इसी वजह से अब हम उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं।”
हिमंत बिस्वा सरमा की घोषणा
बीते साल सरमा ने घोषणा की थी कि राज्य हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जमीन बिक्री के लिए जिला कलेक्टर की सहमति अनिवार्य कर सकता है। हालांकि, इसके लिए कोई नीति निर्धारित नहीं की गई जिसके चलते जमीन हस्तांतरण के अनुरोध लंबित पड़े रहे।
बीते महीने असम कैबिनेट ने अंतर-धार्मिक भूमि हस्तांतरण के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को मंजूरी दी थी। इसके मुताबिक, दो अलग-अलग धर्मों के लोगों के बीच भूमि हस्तांतरण के मामले में जब उपविभागीय मजिस्ट्रेट को भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव प्राप्त होता है तो वे सामान्य जांच और सत्यापन के बाद उसे उपायुक्त कार्यालय को भेज देंगे। इसके बाद असम पुलिस की शाखा इस बात की जांच करेगी कि इस प्रक्रिया में कोई जबरदस्ती या अवैध कदम तो नहीं उठाया गया। इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक समरसता जैसे पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाएगा।