पटना: विपक्ष के महागठबंधन में जगह नहीं मिलने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने अपने दम पर बिहार में चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है। इसी के तहत पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी 24 से 27 सितंबर तक बिहार के सीमांचल क्षेत्र में चार दिवसीय ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ शुरू करने जा रहे हैं।
AIMIM ने इससे पहले हाल में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से इंडिया ब्लॉक में शामिल होने के लिए खुल तौर पर अपील की थी। लेकिन इसका कोई जबाव राजद की ओर से नहीं दिया गया।
बहरहाल, एआईएमआईएम की मंगलवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार उसकी ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ यात्रा किशनगंज से शुरू होगी। रोड शो और नुक्कड़ सभाओं के साथ ये कई अन्य विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। पार्टी ने कहा है कि इस पहल का उद्देश्य सीमांचल के विकास के लिए लोगों को एकजुट करना और पिछड़े क्षेत्र को न्याय दिलाना है। ओवैसी पिछले कुछ समय से सीमांचल के विकास का मुद्दा उठाते रहे हैं और पिछले दिनों उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत ‘सीमांचल क्षेत्र विकास परिषद’ के गठन की मांग करते हुए लोकसभा में एक निजी विधेयक भी पेश किया था।
ओवैसी ने अपनी यात्रा को लेकर क्या बताया?
यात्रा के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘यह कहना ग़लत है कि चुनाव प्रचार अभी शुरू हो रहा है। चुनाव प्रचार शुरू हो चुका है और हमारे अख्तरुल ईमान के नेतृत्व में काम जारी है। अब सीमांचल में हमारी चार दिवसीय यात्रा की योजना है। विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में हम जाकर जनता से मिलेंगे और जनसभाएँ करेंगे।’
अपनी यात्रा के दौरान ओवैसी किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जैसे मुस्लिम बहुल जिलों में 24 से ज्यादा जनसभाएँ करेंगे। पार्टी ने कहा है कि इस अभियान से क्षेत्र में पिछड़ेपन, अशिक्षा, बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दे को उठाया जाएगा।
इस बीच एआईएमआईएम ने चुनाव की तैयारी के लिए निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर बैठकें शुरू कर दी हैं। रविवार को पार्टी ने मुंगेर में एक बैठक आयोजित की, जहाँ जिला अध्यक्ष मोहम्मद शाहिद हुसैन ने राजद और कांग्रेस पर ‘मुसलमानों के साथ विश्वासघात’ करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि दोनों पार्टियाँ मुसलमानों के वोट चाहती हैं, लेकिन उन्हें टिकट देने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि मुंगेर के 22 निर्वाचन क्षेत्रों के 14 लाख मुसलमान ‘उन्हें सबक सिखाएँगे।’
सीमांचल, AIMIM और बिहार चुनाव
एआईएमआईएम ने 2015 में सीमांचल के रास्ते बिहार की राजनीति में कदम रखा था। साल 2019 के उपचुनाव में पार्टी ने अपना खाता खोला जब कमरुल होदा ने किशनगंज सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की। इसके बाद पार्टी ने 2020 में पाँच सीटें जीतकर राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया। इससे सीमांचल के 24 निर्वाचन क्षेत्रों में, जहाँ मुसलमानों की आबादी 40-70% है, राजद केवल एक सीट पर सिमट गई थी। लेकिन 2022 तक इसके चार विधायक राजद में शामिल हो गए, जिससे इस क्षेत्र में राजद विधायकों की संख्या बढ़कर पाँच हो गई।
एआईएमआईएम ने संकेत दिया है कि वह नए साझेदार भी खोज रही है। माना जा रहा है कि पार्टी इस बार के विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ सकती है। पिछली बार पार्टी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और पांच पर उसे जीत मिली थी। पार्टी तब बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी समेत कुछ और पार्टियों के साथ गठबंधन में उतरी थी।
विश्लेषकों का कहना है कि बिहार का राजनीतिक परिदृश्य 2020 से इस बार अलग है। संभव है कि एआईएमआईएम अभी इंतजार करते हुए और परिस्थितियों पर नजर बनाए रखे। ऐसी भी खबरें हैं कि एआईएमआईएम प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के साथ गठबंधन करने की इच्छुक है, लेकिन पीके अकेले चुनाव लड़ने पर अड़े हैं।