आईआरएस अधिकारी और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को दिल्ली हाईकोर्ट से शुक्रवार उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उनकी दो करोड़ की मानहानि का दावा करने वाली याचिका खारिज कर दी गई। वानखेड़े ने शाहरुख खान और गौरी खान की कंपनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट, ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स और अन्य के खिलाफ 2 करोड़ रुपए की मानहानि का दावा करते हुए याचिका दाखिल की थी।
वानखेड़े का आरोप है कि रेड चिलीज के प्रोडक्शन में बनी और नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की गई वेब सिरीज ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ के पहले एपिसोड में दिखाया गया एक किरदार उनसे काफी हद तक मिलता-जुलता है। यह किरदार फिल्म इंडस्ट्री की एक पार्टी पर छापा मारते हुए ‘सत्यमेव जयते’ का नारा लगाता है और इसके तुरंत बाद एक अशोभनीय इशारा करता है। वानखेड़े का कहना है कि इस तरह की प्रस्तुति न केवल उनकी साख को ठेस पहुंचाती है, बल्कि राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान भी करती है।
उनका यह भी आरोप है कि शो में दिखाई गई कहानी 2021 के आर्यन खान ड्रग्स केस से जुड़ी वास्तविक घटनाओं को तोड़-मरोड़कर पेश करती है, जिससे न केवल उनकी पेशेवर छवि धूमिल होती है बल्कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर भी जनता का भरोसा कम हो सकता है।
वानखेड़े के अनुसार, विवाद की मुख्य जड़ें इस बात में हैं कि यह हूबहू दिखने वाला किरदार, जिसका दृश्यमान रूप (कपड़े, हेयरकट) उनसे मिलता है, उन्हें दोषी या संदिग्ध दिखाता है, जबकि असली मामला अभी भी अदालत में लंबित है।
वानखेड़े ने अपनी याचिका में कोर्ट से अपील की थी कि इस सीरीज को प्रतिबंधित किया जाए और रेड चिलीज और नेटफ्लिक्स को 2 करोड़ रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया जाए। उन्होंने बताया कि यह रकम टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में कैंसर मरीजों की मदद के लिए दान में दी जाएगी।
अदालत में क्या हुआ?
दिल्ली हाईकोर्ट ने वानखेड़े की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह यहां सुनवाई योग्य नहीं है। अदालत ने इस पर सवाल उठाया कि मामला दिल्ली में क्यों दाखिल किया गया, जबकि इससे जुड़ी घटनाएं मुंबई में घटी थीं। अदालत ने वानखेड़े से कहा कि वह अपनी याचिका में संशोधन कर यह स्पष्ट करें कि दिल्ली को इस मामले में अधिकार क्षेत्र कैसे प्राप्त होता है।
न्यायाधीश पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने वानखेड़े से पूछा कि जब इस तरह का मुकदमा मुंबई में दायर किया जा सकता है, तो दिल्ली में इसे दायर करने का वैध कारण क्या है। वानखेड़े की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने दलील दी कि चूंकि यह सीरीज पूरे देश में, दिल्ली सहित, प्रसारित होने वाली है, इसलिए मानहानि दिल्ली में भी मानी जाएगी।
हालाँकि, अदालत न्यायाधीश संतुष्ट नहीं हुए और वानखेड़े को अपनी याचिका में संशोधन करने का निर्देश दिया, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि दिल्ली में मुकदमे की सुनवाई क्यों की जा सकती है। कोर्ट ने अभी तक मामले के गुण-दोषों पर फैसला नहीं सुनाया है, बल्कि इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि क्या इसे दिल्ली में सुना जाना कानूनी रूप से सही है।
कानूनी रूप से मानहानि का केस वहीं दायर होना चाहिए, जहां कारण-कार्रवाई उत्पन्न हुई हो यानी जहां वास्तविक नुकसान या असर हुआ हो। चूंकि वानखेड़े मुंबई में तैनात रहे और आर्यन खान केस की सारी कार्यवाही भी वहीं हुई, ऐसे में मुंबई अदालत इस मामले की अधिक उपयुक्त जगह मानी जा सकती है। यही कारण है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने वानखेड़े को अपनी याचिका बदलकर यह स्पष्ट करने को कहा है कि यह मामला दिल्ली की अदालत के अधिकार क्षेत्र में कैसे आता है।
यह मामला साल 2021 में चर्चित क्रूज ड्रग्स केस से जुड़ा है, जिसमें समीर वानखेड़े ने आर्यन खान को गिरफ्तार किया था। आर्यन को इस मामले में 27 दिन तक जेल में रहना पड़ा था, लेकिन बाद में उन्हें क्लीन चिट मिल गई। आर्यन खान ने इसी अनुभव को आधार बनाकर वेब सीरीज ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ बनाई, जिसे नेटफ्लिक्स पर रिलीज किया गया।
वानखेड़े विवाद से परे भी शो में कई मुद्दे उठ खड़े हुए हैं। इसमें रणबीर कपूर का ई-सिगरेट पीने वाला दृश्य शामिल है, जिस पर मानवाधिकार आयोग तक ने आपत्ति दर्ज की। कई एपिसोड्स में वास्तविक बॉलीवुड विवादों और हस्तियों के संदर्भ मिलने से मानहानि और क्रिएटिव स्वतंत्रता पर बहस छिड़ गई।