Friday, October 10, 2025
Homeभारतशेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में गिरफ्तारी वारंट जारी...भारत के पास क्या...

शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में गिरफ्तारी वारंट जारी…भारत के पास क्या विकल्प?

ढाका: बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है। इस वारंट में उन पर जुलाई-अगस्त में बांग्लादेश में कोटा विरोधी विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।

विरोध प्रदर्शन के बीच अगस्त के शुरुआत में शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और फिर वे भारत आ गई थीं। कोटा विरोधी विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित नरसंहारों और हत्याओं के लिए हसीना के साथ-साथ उनकी पार्टी अवामी लीग के शीर्ष नेताओं के खिलाफ भी वारंट जारी किया गया है।

शेख हसीना सहित 45 अन्य लोगों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हुआ है जो इन प्रदर्शनों के बाद से देश छोड़ चुके हैं। बांग्लादेश के अंतरिम स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोटा विरोधी हिंसा में एक हजार से अधिक लोग मारे गए हैं।

77 साल की शेख हसीना को आखिरी बार नई दिल्ली के हिंडन एयरबेस पर देखा गया था। वे अभी भारत में कहां हैं, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है।

शेख हसीना के भारत आने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि वे कुछ दिन भारत में रहेंगी और फिर किसी दूसरे देश में शरण लेंगी। लेकिन कई देशों में शरण के लिए आवेदन करने के बाद भी उन्हें किसी देश ने शरण नहीं दिया था।

ऐसे में जब आईसीटी ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है, तब यह सवाल उठता है कि क्या बांग्लादेश भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर सकता है।

दोनों देशों के बीच हुई थी प्रत्यर्पण संधि

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि पर साल 2013 में हस्ताक्षर किए गए थे। दोनों देशों के बीच भगोड़ों के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को तेज करने के लिए साल 2016 में इस संधि में संशोधन भी किया गया था।

संधि के जरिए साल 2015 में बांग्लादेश ने भारत को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के शीर्ष नेता अनूप चेतिया सौंपा था। बांग्लादेश ने एक और भगोड़े को भारत को सौंप था। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने भी इस संधि के जरिए बांग्लादेश के कुछ भगोड़े को उसे सौंपा था।

संधि के तहत उन अपराधियों का प्रत्यर्पित किया जा सकता है जिन पर दोनों देशों में कम से कम एक साल की सजा वाले अपराध के आरोप लगे हो। इन अपराधों में गंभीर अपराध जैसे हत्या और वित्तीय क्राइम भी शामिल हैं।

संधि के अनुसार, अगर कोई अपराध “राजनीतिक प्रकृति” का हो तो उस केस में दोनों देश प्रत्यर्पण से इनकार कर सकते हैं। लेकिन इस तरह के अपराध की श्रेणी काफी सीमित है। हत्या, हमला, विस्फोटकों का उपयोग और आतंकवाद से संबंधित अपराधों को राजनीतिक अपराध से बाहर रखा गया है।

ये भी पढ़ें: मेटा में लगातार तीसरे साल भी छंटनी! व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम समेत कई अन्य टीमों पर गिरी गाज: रिपोर्ट

क्या शेख हसीना को भारत बांग्लादेश को सौंप सकता है 

जहां तक सवाल शेख हसीना का है तो वह एक राजनीतिक हस्ती हैं और वे भारत में शरण के लिए अनुरोध कर सकती हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना पर अगस्त के महीने में एक किराने की दुकान के मालिक की हत्या में शामिल होने का आरोप लगा था। इसके अलावा उन पर अपहरण और नरसंहार का भी आरोप लगाया गया है।

यही नहीं शेख हसीना पर हत्या, जबरन गायब करने और यातनाएं देने के भी आरोप लगाए गए हैं। संधि में इन अपराधों को राजनीतिक अपराधों की परिभाषा से बाहर रखा गया है। ऐसे में उन पर लगाए गए ये आरोप उन्हें संधि के तहत प्रत्यर्पण के लिए पात्र बना सकते हैं।

साल 2016 में संधि में जो संशोधन किए गए थे, इससे दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण और भी जटिल बन गया है। संधि में संशोधन के अनुसार, बांग्लादेश बिना किसी डिटेल सूबत के शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए अरेस्ट वारंट जारी कर सकता है।

हालांकि शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत बाध्य नहीं है। संधि के तहत अगर भारत को यह लगता है कि शेख हसीना पर लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं या फिर हसीना के प्रत्यर्पण में सद्भावना की कमी है तो इन दोनों केस में भारत प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है।

इन आधारों पर भारत हसीना को वापस भेजने से इनकार कर सकता है, लेकिन इस तरह के फैसले से बांग्लादेश के नए नेतृत्व के साथ भारत के रिश्तें प्रभावित हो सकते हैं और इस कारण दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा