Saturday, October 11, 2025
Homeभारतक्या है सेना में ‘NOK’ नियम जिसमें बदलाव की मांग कर रहे...

क्या है सेना में ‘NOK’ नियम जिसमें बदलाव की मांग कर रहे कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता

नई दिल्लीः कीर्ति चक्र से सम्मानित देवरिया के शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने भारतीय सेना की ‘Next of Kin’ (NOK) नियमों में बदलाव की मांग की है। यह नीति किसी भी सैनिक की मृत्यु होने पर उसके परिवार के सदस्यों को आर्थिक मदद देने से संबंधित है। कैप्टन अंशुमान पिछले साल जुलाई में सियाचिन में एक बड़ी आग की घटना में साथी सैनिकों को बचाते हुए शहीद हो गए थे।

शहीद सैनिक के माता-पिता का गुस्सा: ‘हक पाने के नियम सही नहीं’

एक समाचार चैनल से बात करते हुए पिता रवि प्रताप सिंह और माँ मंजू सिंह ने बताया कि उनके बेटे के शहीद होने के बाद, बहू स्मृति सिंह घर छोड़कर चली गईं और सरकारी मदद का ज्यादातर हिस्सा उसे ही मिल रहा है। रवि प्रताप सिंह का कहना है कि उनके पास सिर्फ दीवार पर टंगा हुआ बेटे का फोटो रह गया है।

उन्होंने टीवी9 भारतवर्ष से बात करते हुए कहा, “सरकार जिस रिश्तेदार को सरकारी मदद देता है, उसके लिए जो नियम हैं वो सही नहीं हैं। मैंने इस बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी बात की है। अंशुमन की पत्नी अब हमारे साथ नहीं रहतीं, शादी को सिर्फ पांच महीने ही हुए थे और कोई बच्चा भी नहीं है। हमारे पास सिर्फ दीवार पर टंगा हुआ बेटे का फोटो है, जिस पर माला चढ़ी हुई है।”

ये भी पढ़ेंः कठुआ आतंकी हमला: सेना की गाड़ी पर पहले ग्रेनेड फेंका गया, फिर दो तरफ से गोलीबारी…क्या हुआ था?

‘एनओके की परिभाषा तय की जाए’

रवि प्रताप सिंह ने कहा, “इसलिए हम चाहते हैं कि एनओके की परिभाषा तय की जाए। यह तय होना चाहिए कि अगर शहीद की पत्नी परिवार में रहती है, तो किस पर कितनी निर्भरता है।” कैप्टन सिंह की मां ने कहा कि वे चाहते हैं कि सरकार एनओके नियमों पर फिर से विचार करे ताकि अन्य माता-पिता को परेशानी न उठानी पड़े।

क्या है “NOK नियम”

“NOK नियम” का मतलब सबसे करीबी रिश्तेदार होता है। इसमें आपका जीवनसाथी, माता-पिता, भाई-बहन या कानूनी संरक्षक आते हैं। जब कोई व्यक्ति सेना में भर्ती होता है, तो आमतौर पर उसके माता-पिता या संरक्षकों को ही NOK के तौर पर दर्ज किया जाता है।

लेकिन सेना के नियमों के मुताबिक, अगर कोई कैडेट या ऑफिसर शादी कर लेता है, तो उसके माता-पिता की जगह पति/पत्नी का नाम NOK के तौर पर दर्ज किया जाता है। अगर किसी सैनिक के साथ ड्यूटी के दौरान कोई घटना हो जाए, तो “एक्स-ग्रेशिया” रकम  (सरकारी मदद) उसके NOK को दी जाती है।

सियाचिन ग्लेशियर मेडिकल ऑफिसर के तौर पर तैनात थे कैप्टन अंशुमान

कैप्टन सिंह 26 पंजाब के साथ सियाचिन ग्लेशियर में मेडिकल ऑफिसर के तौर पर तैनात थे। 19 जुलाई, 2023 को सुबह करीब तीन बजे भारतीय सेना के गोला-बारूद डिपो में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई।

जब कैप्टन सिंह ने फाइबरग्लास की झोपड़ी में आग लगी देखी, तो वे तुरंत उसमें मौजूद लोगों को बचाने के लिए आगे बढ़े। वे चार या पांच लोगों को बचाने में सफल रहे, लेकिन इससे पहले आग तेजी से पास के मेडिकल जांच कक्ष में फैल गई।

कैप्टन सिंह जलती हुई इमारत में वापस आए। उन्होंने आग से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे और अंदर ही उनकी मौत हो गई। कैप्टन अंशुमान की मौत के बाद पीड़ित परिवार को लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 50 लाख रुपए मदद की घोषणा की थी।

मरणोपरांत कैप्टन को मिला कीर्ति चक्र सम्मान

मरणोपरांत, कैप्टन अंशुमान सिंह को भारत में दूसरा सबसे बड़ा वीरता सम्मान कीर्ति चक्र प्रदान किया गया। 5 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में उनकी मां मंजू सिंह और पत्नी स्मृति ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पुरस्कार स्वीकार किया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा