Friday, October 10, 2025
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आंध्र प्रदेशः 25,000 रुपये के कर्ज के लिए दबंग के पास छोड़ा बेटा, लौटने पर कब्र में मिली उसकी लाश

तिरुपतिः आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में एक बेहद अमानवीय मामला सामने आया है, जहाँ बत्तख पालन करने वाले एक व्यक्ति ने एक आदिवासी महिला और उसके तीन बच्चों को कथित तौर पर बंधुआ मजदूर बना रखा था। महिला से 25,000 रुपये के कर्ज की वसूली के नाम पर उसका एक बेटा “जमानत” के तौर पर रख लिया गया। बाद में बच्चे की मौत हो गई और आरोपी ने शव को चुपचाप तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में अपने ससुराल के पास दफना दिया।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला तब सामने आया जब पीड़िता अनक्कम्मा ने किसी तरह ब्याज समेत 45,000 रुपये की राशि जुटाई और अपने बेटे को वापस लेने पहुँची। लेकिन तब उसे बताया गया कि बच्चा भाग गया है। संदेह होने पर जब अनक्कम्मा ने आदिवासी समुदाय के कुछ लोगों की मदद से पुलिस में शिकायत की, तो जांच में चौंकाने वाला सच सामने आया।

‘जमानत’ में छोड़ा गए मासूम की मिली कब्र

अनक्कम्मा और उसके पति चेंचैया, जो यनादी आदिवासी समुदाय से हैं, तिरुपति में एक बत्तख पालक के यहाँ मजदूरी कर रहे थे। करीब एक साल तक काम करने के दौरान चेंचैया की मृत्यु हो गई, लेकिन इसके बावजूद मालिक ने अनक्कम्मा और उसके तीनों बच्चों को जबरन काम पर लगाए रखा, यह कहते हुए कि 25,000 रुपये का कर्ज अभी बाकी है।

जब अनक्कम्मा ने काम छोड़ने की इच्छा जताई, तो मालिक ने 20,000 रुपये अतिरिक्त ब्याज जोड़कर कुल 45,000 रुपये चुकाने की शर्त रख दी। वह रकम जुटाने के लिए समय मांगती रही, लेकिन उसे मजबूर किया गया कि वह तब तक एक बच्चे को पीछे छोड़ दे। अनक्कम्मा ने भारी मन से अपना बेटा वहीं छोड़ दिया और फिर उसकी कब्र में लाश मिली।

बच्चा बार-बार माँ से लौटने की गुहार लगाता रहा

महिला कभी-कभी बेटे से फोन पर बात कर पाती थी, और हर बार वह बच्चा थकान व शोषण की शिकायत करते हुए रोते हुए उसे लेने की गुहार लगाता था। आखिरी बार 12 अप्रैल को उसकी माँ से बात हुई थी। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में जब अनक्कम्मा रकम लेकर पहुंची, तो मालिक ने बार-बार कहानी बदलते हुए पहले कहा कि बच्चा कहीं और भेज दिया गया है, फिर कहा कि अस्पताल में भर्ती है, और अंत में कह दिया कि वह भाग गया है।

पुलिस जांच में हुआ खुलासा

जब महिला ने स्थानीय आदिवासी नेताओं की मदद से पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, तो जांच में आरोपी ने कबूल किया कि बच्चा मर चुका है और शव को उसने तमिलनाडु के कांचीपुरम ज़िले में अपने ससुराल के पास गुपचुप तरीके से दफना दिया था।

सोमवार को आरोपी, उसकी पत्नी और बेटे को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम, बाल श्रम अधिनियम, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

मंगलवार को पुलिस ने शव को बाहर निकाला और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू की गई। इस दौरान अनक्कम्मा बेटे की लाश के पास बैठी फूट-फूट कर रोती रही, जिसकी तस्वीरें दिल दहला देने वाली थीं।

डीएम ने क्या कहा?

एनडीटीवी से बातचीत में तिरुपति कलेक्टर वेंकटेश्वर ने बताया, “सीसीटी फुटेज में दिखता है कि बच्चे को अस्पताल ले जाया गया था। परिवार कहता है कि उसकी मौत पीलिया से हुई, लेकिन शव को चुपचाप दफनाना और परिजनों को सूचना न देना गंभीर मामला है। हम इसपर कठोर कार्रवाई करेंगे।”

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि यनादी आदिवासी समुदाय अक्सर बंधुआ मजदूरी का शिकार होता है। हाल के दिनों में इस समुदाय के 50 लोगों को ऐसे ही हालात से मुक्त कराया गया है। एक कार्यकर्ता ने बताया कि आम तौर पर शुरुआती ‘एडवांस’ देकर लोगों को फंसा लिया जाता है और फिर उनका शोषण शुरू होता है।

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