वॉशिंगटन: अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि भारत और यूएस आखिरकार साथ आएंगे और व्यापार से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए एक साथ काम करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संचार हमेशा खुला है। बेसेंट का यह बयान उस समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ऐलान से एक दूरी साफ तौर पर नजर आ रही है। दोनों देशों के बीच ट्रेड डील भी भंवर में फसा हुआ है। ऐसे में बेसेंट का बयान दोनों देशों के बीच संबंधों के वापस पटरी पर लाने की कोशिश का संकेत माना जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत के खिलाफ ‘दंडात्मक’ अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लागू करने कुछ घंटों बाद बेसेंट ने कहा, ‘मुझे लगता है कि आखिरकार हम एक साथ आएँगे। दोनों पक्षों को इस बात की चिंता है कि इसका क्या नतीजा निकलेगा और दोनों पक्ष इसे सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। बातचीत के रास्ते खुले हैं।’
अमेरिकी वित्त मंत्री ने दावा किया कि मौजूदा समय में व्यापार वार्ता में अमेरिका का पलड़ा भारी है। यह वार्ता 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने के बाद रुकी हुई है। उन्होंने भारत द्वारा रूसी कच्चा तेल की खरीद जारी रखने पर भी असंतोष व्यक्त किया। बेसेंट ने फॉक्स बिजनेस से कहा, ‘यह एक बहुत ही जटिल रिश्ता है। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच उस स्तर पर बहुत अच्छे संबंध हैं।’
‘मुझे लगा था अब डील पक्की है…’
अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा कि उनका मानना था कि भारत और अमेरिका के बीच मई या जून तक कोई समझौता हो जाएगा। बेसेंट ने कहा, ‘मुझे लगा था कि भारत उन देशों में शामिल होगा जिनके साथ सबसे पहले समझौता होने वाला है। उन्होंने बातचीत के दौरान हमें भी शामिल किया। और फिर रूस से कच्चे तेल की खरीद का पहलू भी है, जिससे वे मुनाफा कमा रहे हैं। इसलिए यहाँ कई स्तरों पर बातचीत चल रही है।’
इससे पहले पिछले हफ्ते भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को जवाब देते हुए एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदने में दिक्कत है तो नहीं खरीदें। आप पर खरीदने के लिए कोई दबाव नहीं डालता। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है। अगर आपको ये नहीं पसंद तो मत खरीदें।’
निर्यातकों को राहत देने की तैयारी कर रही भारत सरकार
अमेरिका द्वारा 27 अगस्त से भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ के बाद देश के निर्यातकों के सामने मुश्किल स्थिति है। जाहिर तौर पर ऐसे में भारत के प्रोडक्ट अमेरिका में महंगे होने वाले हैं, इससे मांग घटेगी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने
वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि सरकार को ‘अमेरिकी टैरिफ में तत्काल राहत या इसमें देरी करने की कोई संभावना नहीं है।’
अधिकारी ने आगे कहा कि सरकार ने ट्रंप के टैरिफ से प्रभावित निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए तंत्र तैयार कर लिया है। सरकार निर्यातकों को चीन, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व सहित वैकल्पिक बाजारों में निर्यात बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। अधिकारी ने कहा, ‘सरकार ने भारतीय निर्यात, विशेष रूप से वस्त्र, फूड प्रोसेस्ड आइटम, चमड़े के सामान और समुद्री उत्पादों के निर्यात को अन्य जगहों पर बढ़ाने के लिए लगभग 50 देशों की पहचान की है।’