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अमेरिका का यमन के ईंधन बंदरगाह पर सबसे घातक हमला, 38 की मौत

वाशिंगटन: यमन में एक ईंधन बंदरगाह पर अमेरिकी हमलों में कम से कम 38 लोग मारे गए। अमेरिकी सेना ने कहा कि हमलों का उद्देश्य हूती ग्रुप के लिए ईंधन का स्रोत काटना था। ईरान समर्थित ग्रुप पर वाशिंगटन की सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद से यह सबसे घातक हमलों में से एक है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अल मसीरा टीवी ने कहा कि गुरुवार को पश्चिमी ईंधन बंदरगाह रास ईसा पर हुए हमलों में 102 लोग घायल भी हुए। बता दें अल मसीरा टीवी का संचालन हूती ग्रुप करता है।

वहीं अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने कहा कि हमलों की शुरुआती घोषणा के अलावा उसके पास कोई जानकारी नहीं है।

एक्स पर एक पोस्ट में कहा गया, “इन हमलों का उद्देश्य हूती ग्रुप की शक्ति के आर्थिक स्रोत को कमजोर करना था, जो अपने साथी देशवासियों का शोषण करते रहते हैं और उन्हें भारी पीड़ा पहुंचाते हैं।”

हाल के महीनों में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अभियन

जनवरी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पदभार ग्रहण करने के बाद से मध्य पूर्व में यह अमेरिका का सबसे बड़े सैन्य अभियान है। इसके तहत पिछले महीने से बड़े पैमाने पर शुरू किए गए। वाशिंगटन का कहना है कि कार्रवाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि हूती लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाना बंद नहीं कर देते।

नवंबर 2023 से, हूती विद्रोहियों ने जलमार्ग से गुजरने वाले जहाजों पर दर्जनों ड्रोन और मिसाइल हमले किए हैं, उनका कहना है कि वे गाजा में युद्ध के विरोध में इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने गाजा में दो महीने के युद्ध विराम के दौरान जहाजों पर हमले रोक दिए थे।

हालांकि पिछले महीने इजरायल ने गाजा पर फिर से हमले शुरू कर दिए जिसके बाद ग्रुप ने अपनी कार्रवाई दोबारा शुरू करने का ऐलान किया लेकिन तब से उन्होंने कोई दावा नहीं किया। ग्रुप का कहना है कि वह ‘अमेरिकी आक्रमण’ का जवाब देता रहेगा। 2014 से गृहयुद्ध के बाद हूती समूह ने उत्तरी यमन के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण बना रखा है।

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