Friday, October 10, 2025
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AAP विधायक अमानतुल्लाह खान को राहत; कोर्ट ने दी अग्रिम जमानत, लेकिन रख दी एक शर्त

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान को सशर्त अग्रिम जमानत दे दी है। इससे पहले अदालत ने मामले में उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था।

अमानतुल्लाह पर आरोप है कि उन्होंने जामिया नगर में पुलिस टीम पर हमले का नेतृत्व किया और एक आरोपी को हिरासत से भगाने में मदद की। विशेष सीबीआई जज जितेंद्र सिंह ने सोमवार को सुनवाई के दौरान विधायक को एक दिन की गिरफ्तारी से राहत दी थी। अभियोजन और बचाव पक्ष की अंतिम दलीलें अदालत के समक्ष पेश की जाएंगी।

कोर्ट ने आप नेता को 25 हजार के जमानत बांड और इतनी ही राशि के जमानती पर अग्रिम जमानत दी है। अदालत ने कहा कि जब भी उन्हें बुलाया जाएगा तो उन्हें आना होगा और जांच में सहयोग करना होगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे और बिना परमिशन के देश नहीं छोड़ सकते हैं।

10 फरवरी को हुआ था केस दर्ज

दिल्ली पुलिस ने 10 फरवरी को हुई इस घटना के संबंध में ओखला विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। पुलिस का आरोप है कि हत्या के प्रयास के एक आरोपी शाहबाज खान को हिरासत से छुड़ाने में उन्होंने भीड़ का नेतृत्व किया। पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम जब शाहबाज खान को गिरफ्तार करने गई थी, तभी अमानतुल्लाह खान अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे और पुलिस से धक्का-मुक्की करने लगे। इसी दौरान शाहबाज खान फरार हो गया।

पुलिस ने अमानतुल्लाह खान पर लगाया था आरोप 

पुलिस का कहना है कि इस घटना के दौरान विधायक ने जांच टीम के साथ बहस की, जिससे कानून व्यवस्था बाधित हुई। इसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज किया। घटना से जुड़े सबूत के रूप में पुलिस ने अदालत में सीसीटीवी फुटेज भी पेश किया। सुनवाई के दौरान पुलिस ने खान की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। अदालत ने फुटेज की समीक्षा के लिए समय मांगा और मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को निर्धारित की गई थी।

इससे पहले, अदालत ने खान को 25 फरवरी तक गिरफ्तारी से अस्थायी राहत दी थी। पुलिस का कहना था कि विधायक की संलिप्तता से कानून-व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और पुलिस की कार्रवाई में बाधा उत्पन्न हुई। अदालत के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि यह मामला न केवल कानून व्यवस्था बल्कि राजनीतिक विवादों से भी जुड़ा हुआ है।

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