Friday, October 10, 2025
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सर्वदलीय बैठक खत्म, मानसून सत्र में सरकार को इन मुद्दों पर घेरने की तैयारी में विपक्ष, किरेन रिजिजू ने कहा- 17 बिल हमारे पास

संसद के मानसून सत्र (21 जुलाई) से ठीक पहले रविवार को केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने कई अहम मुद्दों पर सरकार को घेरा। इन मुद्दों में बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR), पहलगाम आतंकी हमला और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच कथित संघर्षविराम समझौते को लेकर किए गए दावे शामिल रहे। बैठक की अध्यक्षता राज्यसभा में नेता सदन और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने की। उनके साथ संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे।

दिल्ली में सर्वदलीय बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 17 बिल हमारे पास तैयार हैं। सभी पार्टियों के करीब 40 नेताओं ने अपनी-अपनी बातें रखीं और आगामी सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों पर विचार साझा किया। सरकार की ओर से हमने सभी बिंदुओं को नोट किया है। उन्होंने कहा, कौन-से मुद्दों पर चर्चा होनी है, इसका अंतिम निर्णय बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) में लिया जाएगा।

रिजिजू ने आगे कहा कि संसद सुचारू रूप से चले, इसके लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को जिम्मेदारी से काम करना होगा। राजनीतिक दलों की विचारधारा अलग हो सकती है, लेकिन सदन को सुचारू रूप से चलाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। हम संसदीय नियमों और परंपराओं को सर्वोपरि मानते हैं।”

कांग्रेस ने इन तीन मुद्दों पर प्रधानमंत्री से संसद में जवाब की मांग की

लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि कांग्रेस ने तीन महत्वपूर्ण मुद्दों—अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान, पहलगाम हमले में चूक और बिहार में एसआईआर से जुड़े विवाद—पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में बयान देने की मांग की है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी का संसद में मौजूद रहना और पहलगाम आतंकी हमले पर सफाई देना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने के दावों पर जवाब देना और चुनाव आयोग के कामकाज, खासकर बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के खास अभियान और उसके दूसरे राज्यों में लागू होने की संभावना पर भी प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए।

लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि आगामी मानसून सत्र में कांग्रेस कई अहम मुद्दों को उठाएगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपेक्षा की जा रही है कि वे स्वयं संसद में आकर देश को संबोधित करें। उन्होंने कहा, “पहलगाम हमले, सुरक्षा में चूक और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के बयान जैसे मामलों पर सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह संसद में स्थिति स्पष्ट करे।”

गोगोई ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया ‘सीजफायर दावे’ को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि “ये बयान भारत की गरिमा और सेना की वीरता पर सवाल खड़े करते हैं। इन पर सिर्फ प्रधानमंत्री ही जवाब दे सकते हैं।”

चुनाव आयोग और मणिपुर पर भी उठाए सवाल

गोगोई ने चुनाव आयोग के कार्यकलापों पर चिंता जताई और कहा कि वह राजनीतिक दलों से संवाद से बच रहा है और पारदर्शिता नहीं बरत रहा। उन्होंने कहा कि वोटिंग अधिकार और चुनावी पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठे हैं। प्रधानमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सरकार की क्या भूमिका और सोच है।”

कांग्रेस नेता ने भारत की सीमाओं पर चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश की मिलीभगत को लेकर उठे सैन्य चिंता के बिंदुओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री को रक्षा और विदेश नीति पर देश को आश्वस्त करना चाहिए, खासकर दो-मोर्चा संघर्ष की संभावना पर।” 

गोगोई ने मणिपुर में जारी संकट को लेकर कहा, “प्रधानमंत्री ने मणिपुर में शांति का वादा किया था, लेकिन ढाई साल बीतने के बाद भी हालात सामान्य नहीं हैं। छोटे देशों के दौरे करने वाले प्रधानमंत्री अपने ही देश के एक जलते राज्य से दूरी बनाए हुए हैं। अब समय आ गया है कि वह संसद में जवाब दें।”

वामदल और आम आदमी पार्टी ने इन मुद्दों पर मांगा जवाब

सीपीआई (एम) के सांसद जॉन ब्रिटास ने भी प्रधानमंत्री से दोनों मुद्दों पर जवाब मांगते हुए कहा कि ट्रंप के बयान और जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले पर चुप्पी नहीं चलेगी। झारखंड मुक्ति मोर्चा की राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने भी दोहराया कि. प्रधानमंत्री मोदी को इस पर सफाई देनी चाहिए कि ऐसा कौन सा ट्रेड है जिसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बोल रहे हैं। उन्होंने कहा, जनगणना होने वाली है और आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड चाहिए। हमारे राज्य ने उसे पारित करके भेज दिया है लेकिन वह अभी तक नहीं हुआ है। ऐसे बहुत सारे मुद्दे हैं जिन पर हम चाहेंगे कि इस सत्र में इन पर बातचीत हो।

वहीं आम आदमी पार्टी के नेता संजय कहा कि मैंने अपनी पार्टी की ओर से जो मुद्दा उठाया है, वह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बार-बार कह रहे हैं कि 5 जेट गिराए गए और ट्रेड डील के नाम पर हमने सीजफायर कराया है, इस पर सरकार का स्पष्टीकरण होना चाहिए। जहां झुग्गी, वहां मकान का वादा करके उत्तर प्रदेश, बिहार और पूर्वांचल के लोगों को उजाड़ा गया।

संजय सिंह ने बिहार में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण को चुनाव घोटाला बताया और कहा कि इससे नागरिकों के मताधिकार पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि आप 2024 की रणनीति के तहत आगामी राज्य चुनावों में अकेले लड़ेगी।

समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि “भारत की विदेश नीति पूरी तरह विफल रही है। ऑपरेशन सिंदूर के समय कोई भी बड़ा देश हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ।” उन्होंने कहा कि सबसे खतरनाक बात यह है कि लोकतंत्र पूरी तरह से खत्म होने जा रहा है। जिस तरह से बिहार में वोटर लिस्ट का (विशेष गहन पुनरीक्षण) SIR हो रहा है, वो सब देख रहे हैं…बिहार में करोड़ों लोगों के नाम काटे जा रहे हैं…यह कुछ गंभीर बाते हैं और मुझे नहीं लगता कि सरकार इसपर चर्चा कराएगी।

घरेलू मुद्दों पर भी उठा सवाल

बीजद के सांसद सस्मित पात्र ने ओडिशा में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंता जताई। उन्होंने राज्य में एक छात्रा द्वारा आत्मदाह और एक नाबालिग लड़की को जलाए जाने की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि “राज्य की बीजेपी सरकार कानून व्यवस्था संभालने में असफल रही है।” उन्होंने कहा, महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ जघन्य अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। इसलिए हम राज्य के अन्य मुद्दों के अलावा, इन सभी मुद्दों को संसद में उठाएंगे। हम सभी मुद्दों पर विपक्ष के साथ हैं, विपक्ष जो भी चर्चा चाहता है, उसके लिए हम उनके साथ हैं।

बैठक में कांग्रेस के जयराम रमेश, एनसीपी (शरद पवार गुट) की सुप्रिया सुले, डीएमके के टीआर बालू, और आरपीआई (ए) के रामदास अठावले सहित कई नेताओं ने भाग लिया। विपक्ष ने स्पष्ट किया कि वह मानसून सत्र (21 जुलाई–21 अगस्त 2025) के दौरान इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगा—विशेषकर पहलगाम हमले के दोषियों पर कार्रवाई, बिहार के मतदाता अधिकारों को लेकर संशय, और ट्रंप के अविश्वसनीय बयानों पर सरकार की चुप्पी।

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