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‘अजमल कसाब को नहीं देनी थी जल्दी फांसी…’, तहव्वुर के प्रत्यर्पण पर बोले पाकिस्तान के पूर्व उच्चायोग

मुंबई हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को गुरुवार को भारत लाया जाएगा। यहां पहुंचने के बाद उस पर मुकदमा चलाया जाएगा। तहव्वुर के प्रत्यर्पण पर पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने अजमल कसाब की फांसी का मुद्दा उठाया और कहा है कि मुंबई हमले को लेकर पाकिस्तान में जो ट्रायल चल रहा है, उसमें भारत सपोर्ट नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में चल रहे ट्रायल के लिए अजमल कसाब का जिंदा रहना जरूरी था, लेकिन भारत ने पाकिस्तान को क्रॉस एग्जामिनेशन नहीं करने दिया।

अब्दुल बासित ने कहा कि तहव्वुर राणा के यहां आने से भारत को बड़ा टॉकिंग पॉइंट मिलेगा। उसका जिक्र तो कम होगा, लेकिन ये बताने की कोशिश होगी कि पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी मुंबई हमले के पीछे थी और लश्कर ए तैयबा का पूरा सपोर्ट था। उन्होंने कहा कि जब मुंबई अटैक हुआ तो पाकिस्तान ने भारत के साथ पूरा सहयोग किया, ये अलग बात है कि भारत ने बहुत ही जल्दबाजी में 21 नवंबर, 2012 में अजमल कसाब को फांसी दे दी ताकि कोई सबूत ही न रहे।

पाकिस्तान ने दिया पहला रिएक्शन

पाकिस्तान ने तहव्वुर राणा को पहचानने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि तहव्वुर राणा ने दो दशकों से अधिक समय से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों को रिन्यू नहीं किया है। इस तरह से वह पाकिस्तानी नहीं बल्कि कनाडाई  नागरिक है। पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने एक वीडियो बयान में कहा, “तहव्वुर राणा ने पिछले दो दशकों में अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है। उसकी कनाडाई राष्ट्रीयता बहुत स्पष्ट है।”

अब जबकि तहव्वुर राणा को भारत लाया जा रहा है तो पाकिस्तान राणा से खुद को इसलिए अलग कर रहा है क्योंकि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी सेना, आईएसआई का अंदरूनी सूत्र है। आतंकी राणा अब मुंबई 26/11 हमलों की साजिश में पाकिस्तान की प्रत्यक्ष भूमिका के बारे में खुलासा करेगा।

राणा का प्रत्यर्पण होने के बाद क्या होगा? 

जांच एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि 26/11 मुंबई हमलों के पीछे पाकिस्तान की भूमिका का पता लगाने के लिए राणा से पूछताछ की जाएगी। पूछताछ के लिए उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद उसे एनआईए की हिरासत में रखा जा सकता है। राणा से पूछताछ में कुछ नया खुलासा भी हो सकता है। माना जा रहा है कि अधिकारी उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखने के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं। 

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