Air India crash: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 12 जून को गुजरात में हुए एयर इंडिया विमान दुर्घटना की जांच को लेकर केंद्र सरकार और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि वे इस दुर्घटना की स्वतंत्र, निष्पक्ष, और शीघ्र जांच कैसे सुनिश्चित करेंगे। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि क्या इसके लिए कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच जरूरी है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह आदेश ‘सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन’ नामक एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर दिया। याचिका में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ द्वारा अदालत की निगरानी में जांच कराने की मांग की गई है।
एयर इंडिया विमान हादसे की निष्पक्ष जांच को लेकर दायर याचिका में क्या कहा गया है?
एनजीओ ने याचिका में दलील दी है कि 102 दिन बीतने के बावजूद न तो हादसे की वजह स्पष्ट हुई है और न ही भविष्य के लिए कोई सुरक्षा उपाय तय हुए हैं। याचिका में कहा गया कि डीजीसीए की शुरुआती रिपोर्ट ने एक तरह से पायलटों पर दोष मढ़ दिया, जबकि सिस्टम संबंधी खामियों, जैसे फ्यूल-स्विच डिफेक्ट और इलेक्ट्रिकल फॉल्ट्स, पर गंभीरता से गौर नहीं किया गया।
याचिका में यह भी बताया गया है कि 2018 में अमेरिकी संघीय उड्डयन प्रशासन (एफएए) ने इसी तरह के विमान में ईंधन नियंत्रण स्विच में संभावित खराबी को लेकर एक चेतावनी जारी की थी, लेकिन इसे अनिवार्य न होने के कारण लागू नहीं किया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस याचिका का उद्देश्य सिर्फ इस त्रासदी का जवाब खोजना नहीं, बल्कि भविष्य में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
पीठ ने डीजीसीए द्वारा जारी प्रारंभिक रिपोर्ट को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, जिसमें यह संकेत दिया गया था कि विमान के टेक-ऑफ के तुरंत बाद पायलट ने ही ईंधन नियंत्रण स्विच को ‘रन’ से ‘कटऑफ’ पर कर दिया था। इस रिपोर्ट को आधार बनाकर मीडिया में पायलट की गलती की खबरें आने लगी थीं।
पायलट की गलती की बात दुर्भाग्यपूर्ण: सुप्रीम कोर्ट
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने जांच पैनल में हितों के टकराव का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट हितों का टकराव है। हादसे के वक्त विमान में 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर थे, जिनमें से 229 यात्रियों, सभी क्रू और जमीन पर 19 लोगों की मौत हो गई थी। प्रशांत भूषण ने कोर्ट से ब्लैक बॉक्स और फ्लाइट डेटा सार्वजनिक करने की मांग की।
इस पर पीठ ने माना कि निष्पक्ष जांच जरूरी है, लेकिन इस बात पर चिंता भी जाहिर की कि सबकुछ सार्वजनिक करने से जांच प्रभावित हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट में चुनिंदा तरीके से पायलटों को जिम्मेदार ठहराया गया है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। पीठ ने जोर दिया कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा, पायलट अब नहीं हैं, लेकिन उनका परिवार तो है और ऐसी खबरों से उन पर बुरा असर पड़ेगा।
पीठ ने कहा कि जल्दबाजी में जानकारी लीक करने से तस्वीर बिगड़ सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की दुर्घटनाओं की जांच जल्दी पूरी होनी चाहिए ताकि अफवाहों और गलत जानकारियों को फैलने से रोका जा सके।
12 जून को हुआ था विमान हादसा, जांच में क्या कहा गया?
गौरतलब है कि 12 जून को एयर इंडिया की फ्लाइट एआई-171 अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद जमीन पर गिर गई थी। इसमें 230 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य सवार थे। इस विमान दुर्घटना में 229 यात्रियों, सभी चालक दल के सदस्यों और जमीन पर 19 लोगों की मौत हो गई।
प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, विमान के दोनों इंजन के ईंधन नियंत्रण स्विच टेक-ऑफ के कुछ ही सेकंड बाद ‘रन’ से ‘कटऑफ’ की स्थिति में आ गए थे, जिससे इंजन ने काम करना बंद कर दिया। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में एक पायलट को दूसरे से यह पूछते हुए सुना गया कि उसने ईंधन क्यों बंद किया, जिस पर दूसरे ने इससे इनकार किया।
अदालत ने स्पष्ट किया कि फिलहाल नोटिस का मकसद केवल यह सुनिश्चित करना है कि जांच निष्पक्ष और समयबद्ध हो। कोर्ट इस समय किसी भी हिस्से को सार्वजनिक करने पर विचार नहीं कर रहा है। अदालत ने दो हफ्तों के भीतर केंद्र और डीजीसीए से जवाब मांगा है।