कोलकाताः मशहूर कवि-गीतकार जावेद अख्तर का कोलकाता में होने वाला कार्यक्रम रद्द होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी उनके समर्थन में उतरी हैं। कोलकाता उर्दू अकादमी में एक कार्यक्रम में जावेद अख्तर को आमंत्रित किया गया था लेकिन मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के विरोध के बाद कार्यक्रम रद्द हो गया।
जावेद अख्तर का कार्यक्रम रद्द होने के बाद से इस मामले में विवाद गहराता जा रहा है। कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने “मुस्लिम दक्षिणपंथियों द्वारा संचालित” मंचों वैध ठहराने वालों पर निशाना साधा है। इसके साथ ही उन्होंने जावेद अख्तर के कार्यक्रम को आयोजित करने की पेशकश की है, अगर वह (जावेद अख्तर) तैयार हों।
उर्दू अकादमी ने क्या कारण बताए?
उर्दू अकादमी ने हालांकि कार्यक्रम को रद्द करने के पीछे कुछ अपरिहार्य कारण बताए हैं हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कोलकाता इकाई द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया है।
इसकी पुष्टि संगठन के कोलकाता महासचिव जिल्लुर रहमान ने की। उन्होंने कहा कि जावेद अख्तर को आमंत्रित किए जाने के बारे में उन्होंने अकादमी को एक पत्र लिखा है। पत्र के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि “जावेद अख्तर ने इस्लाम के खिलाफ, मुसलमानों के खिलाफ और अल्लाह के खिलाफ बहुत कुछ बुरा बोला है। यह व्यक्ति इंसान नहीं, बल्कि इंसान के वेश में शैतान है। जावेद अख्तर को इस कार्यक्रम में शामिल न करें।”
पत्र में आगे कहा गया “उर्दू की दुनिया में बहुत से अच्छे कवि, लेखक और पत्रकार हैं जिन्हें कार्यक्रम में बुलाया जा सकता है।” इसके बाद अकादमी ने कार्यक्रम स्थगित कर दिया था।
इस कार्यक्रम का शीर्षक ‘उर्दू सिनेमा में हिंदी’ था और इसका उद्देश्य भारतीय सिनेमा में उर्दू के योगदान के बारे में बताना था। कार्यक्रम में कविताएं, चर्चाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। 1 सितंबर (सोमवार) को होने वाले इस कार्यक्रम के लिए जावेद अख्तर अध्यक्षता करने वाले थे।
जावेद अख्तर का कार्यक्रम रद्द होने के बाद शबनम हाशमी की कड़ी प्रतिक्रिया
इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा कि वह कार्यकर्ताओं से कहती हैं कि “मुस्लिम कट्टरपंथियों” को वैध ठहराना बंद करें।
इस बाबत उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट लिखा “यह शुरुआत है। मैं ऊपर से चिल्ला-चिल्लाकर अपने वरिष्ठ साथियों और युवाओं से कह रही हूं कि वे मुस्लिम दक्षिणपंथियों द्वारा चलाए जा रहे मंचों को वैधता प्रदान करना बंद करें।”
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उन्होंने कहा कि उनके इस स्टैंड की वजह से उन्हें दिल्ली के सामाजिक संगठनों के बीच हाशिए पर ढकेल दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुझे हाशिए पर ढकेल दिया गया क्योंकि उन्होंने मुस्लिम दक्षिणपंथी संगठनों के साथ मंच साझा करने से इंकार कर दिया था। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि बड़ी संख्या में वरिष्ठ कार्यकर्ता बहुसंख्यकवादी राजनीति के खिलाफ लड़ने के रूप में खुद को मूर्ख बना रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अल्पसंख्यकों की गरिमा की लड़ाई संविधान के दायरे में ही लड़ी जा सकती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र, समानता और अल्पसंख्यकों- मुसलमान, ईसाई, जैन, सिख के सम्मान की लड़ाई संविधान के दायरे में ही लड़ी जा सकती है।