Friday, October 10, 2025
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पिछले 30 सालों में बंगाल की खाड़ी के समुद्र तल में हुई असामान्य वृद्धि, देश के दूसरे हिस्सों की अपेक्षा पश्चिम बंगाल हो रहा तेजी से गर्म

पिछले कुछ सालों से पूरी दुनिया समेत भारत के कई शहर बढ़ते हुए तापमान और खराब मौसम की मार झेल रहे हैं। इस कारण कहीं बहुत अधिक गर्मी पड़ रही है तो कहीं बाढ़ जैसे हालात पैदा हो रहे हैं।

ऐसे में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह खुलासा किया गया है कि पिछले तीन दशकों में बंगाल की खाड़ी का जलस्तर वैश्विक औसत के मुकाबले 30 फीसदी अधिक बढ़ा है।

यही नहीं द स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन एशिया 2023 के एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ सालों में भारत के कुछ शहरों में काफी तेजी से गर्मी बढ़ी है, खासकर पूर्वी तटीय राज्यों और द्वीपीय क्षेत्रों में, जो देश के लिए एक चिंता का कारण हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कुछ उत्तरी राज्यों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और उसके आसपास के राज्य जैसे बिहार-झारखंड वाले बेल्टों में भीषण गर्मी देखी गई है। इनके तापमान में बढ़ोतरी पूरे देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले सबसे अधिक है।

पश्चिम बंगाल हो रहा काफी तेजी से गर्म

डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1993 से 2023 के बीच बंगाल की खाड़ी के समुद्र तल स्तर में वैश्विक औसत 3.4 मिलीमीटर के मुकाबले प्रति वर्ष 4.44 मिलीमीटर की बढ़ोतरी देखी गई है।

बंगाल की खाड़ी के समुद्र तल स्तर में बढ़ोतरी और इसके आसपास के इलाकों में बढ़ रहे तापमान के कारण पश्चिम बंगाल जैसा राज्य काफी तेजी से गर्म हो रहा है और इससे यहां पर भीषण गर्मी भी पड़ रही है।

बंगाल की जलवायु भेद्यता के बारे में बोलते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) में मौसम विज्ञान के महानिदेशक और डब्लूएमओ के उपाध्यक्ष मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट ने सब बात साफ कर दिया है और इस विष्य में मुझे और कुछ कहने की जरूरत नहीं है।

पश्चिम बंगाल का सुंदरबन क्षेत्र है ज्यादा प्रभावित

केंद्रीय सरकार ने हाल में संसद को यह सूचित किया था कि पश्चिम बंगाल का सुंदरबन क्षेत्र काफी ज्यादा प्रभावित हुआ है और पूरे देश के मुकाबले यहां के समुद्र तल स्तर में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है।

इससे यहां रहने वाले लोगों पर काफी असर पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित नवीनतम आकलन रिपोर्ट छह से यह मालूम होता है कि यदि वैश्विक कार्बन उत्सर्जन को जल्द से जल्द कंट्रोल न किया गया तो वह दिन दूर नहीं है जब दक्षिण बंगाल के अधिकतर शहर इससे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।

इस कारण इन इलाकों में 2081-2100 तक अधिकतम तापमान के 50 डिग्री सेल्सियस होने की संभावना और भी अधिक बढ़ जाएगी।

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