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आधार, पैन कार्ड, वोटर आईडी से भारतीय नागरिकता साबित नहीं होती, बॉम्बे HC ने किस मामले में सुनाया ये फैसला?

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसला में कहा कि सिर्फ आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज रखने से कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं बन जाता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए की, जिस पर कथित तौर पर बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में आने और जाली दस्तावेजों के साथ रहने का आरोप है।

जस्टिस अमित बोरकर की पीठ ने बाबू अब्दुल रूफ सरदार नामक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपी पर बिना वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेजों के अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने और 10 साल से अधिक समय तक जाली दस्तावेजों के साथ रहने का आरोप है। आरोप है कि उसने आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और यहाँ तक कि एक भारतीय पासपोर्ट भी जाली तरीके से हासिल किया था।

कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगे आरोप सिर्फ आव्रजन नियमों के तकनीकी उल्लंघन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये भारतीय नागरिक बनने के उद्देश्य से जानबूझकर अपनी पहचान छिपाने और जाली दस्तावेज बनाने का मामला है।

आधार, पैन कार्ड सिर्फ पहचान के लिए’: कोर्ट

पीटीआई के अनुसार, जस्टिस बोरकर ने कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 ही यह तय करता है कि कौन भारत का नागरिक हो सकता है और नागरिकता कैसे प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा, “केवल आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज होने से कोई व्यक्ति अपने आप भारत का नागरिक नहीं बन जाता। ये दस्तावेज केवल पहचान या सेवाएँ लेने के लिए होते हैं, लेकिन ये नागरिकता अधिनियम में निर्धारित नागरिकता की बुनियादी कानूनी आवश्यकताओं को नहीं बदल सकते।”

कोर्ट ने कहा कि कानून वैध नागरिकों और अवैध प्रवासियों के बीच एक स्पष्ट रेखा खींचता है। यह भेद देश की संप्रभुता की रक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकों के लिए बनाए गए अधिकार और लाभ उन लोगों द्वारा गलत तरीके से न लिए जाएँ, जिनके पास भारत में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

जांच अभी भी जारी

कोर्ट ने जमानत खारिज करते हुए यह भी कहा कि दस्तावेजों का सत्यापन अभी भी जारी है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) उसके आधार कार्ड की प्रामाणिकता की जाँच कर रहा है। पुलिस ने अपनी दलील में कहा था कि अगर आरोपी को जमानत दी गई तो वह फरार हो सकता है, जिसे कोर्ट ने एक वास्तविक आशंका माना। पुलिस इस बात की भी जाँच कर रही है कि क्या अवैध आप्रवासन और पहचान धोखाधड़ी में कोई बड़ा संगठित नेटवर्क शामिल है।

 

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