Friday, October 10, 2025
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26/11 आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की हिरासत 12 दिन के लिए बढ़ी

Tahawwur Rana Sent to 12-day NIA Custody: दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को 26/11 के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा की एनआईए हिरासत 12 दिन के लिए बढ़ा दी है। एनआईए ने अदालत से तहव्वुर हुसैन राणा की हिरासत 12 दिन और बढ़ाए जाने की मांग की थी। एनआईए की याचिका पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

18 दिन की एनआईए हिरासत की मियाद समाप्त होने के बाद राणा को विशेष एनआईए न्यायाधीश चंदर जीत सिंह की अदालत में पेश किया गया। दलीलों के दौरान, एनआईए ने कहा कि साजिश के पूरे दायरे को एक साथ जोड़ने के लिए राणा की हिरासत की जरूरत है। एनआईए की ओर से कहा गया कि 17 साल पहले हुई आतंकी वारदातों की कड़ियों को जोड़ने और उसके साजिशकर्ताओं तक पहुंचने के लिए विभिन्न स्थानों पर ले जाने की जरूरत है।

18 दिन की हिरासत में रह चुका है राणा

इससे पहले 11 अप्रैल को कोर्ट ने राणा को 18 दिन की हिरासत में भेजा था। इस दौरान एनआईए ने उससे 2008 के घातक हमलों के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाने के लिए विस्तार से पूछताछ की। बता दें कि इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे।

अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया राणा

26/11 मुंबई आतंकी हमलों के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया। राणा को लेकर दिल्ली पहुंची राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष टीम में तीन अधिकारियों का सबसे अहम रोल रहा। जिन अधिकारियों ने राणा को अमेरिका से भारत लाने में अहम भूमिका निभाई है, उसमें 1997 बैच के झारखंड कैडर के आईपीएस आशीष बत्रा, छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अधिकारी प्रभात कुमार के अलावा झारखंड कैडर की महिला आईपीएस जया रॉय शामिल हैं। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी, जिसे फरवरी 2025 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतिम रूप से स्वीकृति दी।

 अमेरिका ने 2009 में किया था गिरफ्तार

26/11 मुंबई हमले में 174 लोगों की जान गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस हमले को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था। राणा पर आरोप है कि उसने इस हमले की साजिश में अहम भूमिका निभाई थी। 2011 में भारतीय अदालत ने उसे दोषी ठहराया था, लेकिन वह उस समय अमेरिका में था। 2009 में अमेरिका में उसकी गिरफ्तारी हुई थी, और तब से वह प्रत्यर्पण के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहा था।

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